हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ की पट्टिका पर विवाद, तोड़फोड़ के बाद सियासी संग्राम तेज

श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह पर शुक्रवार को उस समय बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब लोगों की भीड़ ने पथराव किया और हाल ही में स्थापित नवीनीकरण पट्टिका को तोड़ दिया.

श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह पर शुक्रवार को उस समय बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब लोगों की भीड़ ने पथराव किया और हाल ही में स्थापित नवीनीकरण पट्टिका को तोड़ दिया.

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Ravi Prashant
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अशोक स्तंभ की पट्टिका पर विवाद Photograph: (sm)

श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह में शुक्रवार को एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब लोगों की भीड़ ने हाल ही में लगाए गए नवीनीकरण पट्टिका पर पथराव कर उसे तोड़ दिया. इस पट्टिका पर अशोक चिन्ह उकेरा गया था, जिसे प्रदर्शनकारियों ने इस्लामी सिद्धांतों के विरुद्ध बताया. 

इस्लाम में वर्जित माना जाता है

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मामला दरअसल तौहीद से जुड़ा है, जिसके अनुसार इस्लाम में मूर्ति पूजा या किसी भी प्रकार के चित्रात्मक प्रतीकों का पवित्र स्थलों पर प्रयोग वर्जित माना जाता है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अशोक चिन्ह पर बने शेर मूर्ति स्वरूप प्रतीत होते हैं और यह दरगाह की धार्मिक पवित्रता के विपरीत है. 

बीजेपी नेता ने जताई नाराजगी

हजरतबल दरगाह का हाल ही में नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण कार्य पूरा हुआ था, जिसका उद्घाटन जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन व बीजेपी नेता दरख्शां अंद्राबी ने किया था. इस पट्टिका को लेकर विवाद सामने आते ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जादिबल विधायक तनवीर सादिक ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताते हुए लिखा कि पवित्र दरगाह पर इस तरह का प्रतीक लगाना गलत है और यहां केवल तौहीद की पवित्रता झलकनी चाहिए. 

ये संविधान पर हमला है

वहीं, दरख्शां अंद्राबी ने तोड़फोड़ की घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे आतंकी हमला करार दिया. उन्होंने कहा कि यह न केवल संविधान पर हमला है, बल्कि दरगाह की गरिमा और राष्ट्रीय प्रतीकों का भी अपमान है. अंद्राबी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाया कि यह घटना उन्हीं के कार्यकर्ताओं की पुरानी पत्थरबाजी की राजनीति का हिस्सा है. 

नेशनल कांफ्रेंस ने क्या कहा? 

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पट्टिका को गंभीर चिंता का विषय बताया. पार्टी ने कहा कि वक्फ किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं, बल्कि मुसलमानों के योगदान और दान से संचालित एक संस्था है, जिसे उनकी आस्था और परंपराओं के अनुरूप ही चलाया जाना चाहिए. एनसी ने यह भी आरोप लगाया कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर माफी मांगने के बजाय लोगों को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार करने की धमकियां दी जा रही हैं.

सीएम और पूर्व सीएम ने क्या कहा? 

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी किसी धार्मिक स्थल पर सरकारी प्रतीक नहीं देखा. “शेख अब्दुल्ला ने हजरतबल दरगाह का निर्माण कराया था, लेकिन उनके नाम की कोई पत्थर पट्टिका नहीं लगी. तो अब इस तरह की जरूरत क्यों पड़ी?. इस बीच पुलिस ने बताया कि घटना से जुड़े मामले में केस दर्ज कर लिया गया है और दोषियों की पहचान की जा रही है ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके.

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Omar abdullah jammu-kashmir Hazratbal Dargah Ashoka Pillar
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