2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी की ओर से विभिन्न अखबारों में प्रकाशित लेख का हवाला देते हुए कहा कि इसमें उठाए गए सवाल न केवल गंभीर हैं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुचिता पर गहरे सवाल खड़े करते हैं. खरगे ने कहा कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से जवाबदेही की मांग की थी, लेकिन उसके बजाय एक "बिना हस्ताक्षर वाला पत्र सामने आया, जिसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठना स्वाभाविक है. “चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. बिना हस्ताक्षर वाले नोट्स जारी करना, इन गंभीर आरोपों का उत्तर नहीं हो सकता.” –मल्लिकार्जुन खरगे
कांग्रेस ने उठाए चार प्रमुख सवाल:
1. महाराष्ट्र में मतदाता सूची में असामान्य उछाल
2019 से 2024 की शुरुआत तक राज्य में 31 लाख मतदाता जुड़े, लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच के सिर्फ 5 महीनों में 41 लाख नए नाम जुड़ गए.
कांग्रेस का सवाल: ये अचानक और असामान्य वृद्धि कैसे और क्यों हुई?
2. मतदान प्रतिशत में विरोधाभास
चुनाव आयोग ने 5 बजे तक 58.73% मतदान की घोषणा की, लेकिन अंतिम आंकड़ा 66% बताया गया. कांग्रेस की मांग: क्या इस 7% की बढ़ोतरी को प्रमाणित करने वाला कोई वीडियो या सीसीटीवी फुटेज है?
3. चुनाव आयुक्त नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव
सरकार ने कानून में बदलाव कर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जगह गृह मंत्री को समिति में शामिल किया.
कांग्रेस का आरोप: क्या इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं हुई?
4. मतदाता सूची अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं हुई?
कांग्रेस ने पूछा कि 2024 लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अंतिम मतदाता सूची अब तक क्यों नहीं जारी की गई.
यह सार्वजनिक सूचना क्यों छिपाई जा रही है?
कांग्रेस की दो प्रमुख मांगें
1. डिजिटल और मशीन-पठनीय मतदाता सूचियां (पूरा वर्शन इतिहास और टाइमस्टैम्प के साथ) तुरंत जारी की जाएं.
2. 5 बजे के बाद का मतदान केंद्रों का CCTV/वीडियो रिकॉर्डिंग सार्वजनिक किया जाए. जिससे मतदान प्रतिशत में हुई बढ़ोतरी को जांचा जा सके.
खरगे ने जोर देकर कहा: “पारदर्शिता कोई एहसान नहीं, यह संवैधानिक जिम्मेदारी है. यदि चुनाव आयोग के पास छिपाने जैसा कुछ नहीं है, तो उसे सब कुछ सार्वजनिक करना चाहिए.” उन्होंने ये भी जोड़ा कि लोकतंत्र अपारदर्शिता और अविश्वसनीय आंकड़ों पर नहीं चल सकता. कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की मांगों के साथ खड़ी है और संस्थागत जवाबदेही की मांग करती है.