प्रदेशों में एसआईआर की प्रक्रिया जारी है. ऐसा बताया जात रहा है बीएलओं और उनके परिवार वालों को काफी अधिक वर्क लोड है.
प्रदेशों में एसआईआर की प्रक्रिया जारी है. जिसमें बीएलओ और उनके परिवार वाले वर्क लोड का दबाव का आरोप लगा रहे हैं. इसी बीच कुछ जगहों पर बीएलओ की मौत की भी खबर आई है. बीएलओ परेशान होकर इस्तीफा भी दे रहे हैं तो दूसरी ओर सियासत भी भरपूर है. झारखंड से लेकर यूपी तक कांग्रेस, सपा समेत सभी विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं. तो फिलहाल आपको बता दें कि एसआईआर को लेकर जो इस पश्चिम बंगाल में घमासान शुरू हुआ है. अब यह राजस्थान भी इसके इससे अलग नहीं है.
बंगाल से लेकर राजस्थान तक एसआईआर को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों में जुबानी हमले भी जारी हैं. लेकिन इसी बीच कुछ जगहों पर बीएलओ की मौत की खबर से यह मामला और ज्यादा संजीदा हो गया है. बीएलओ परेशान
होकर इस्तीफा दे रहे हैं. वर्क लोड बहुत ज्यादा है और सियासत भी इस पर हो रही है. उनके परिवार पर भी दबाव बनाया जा रहा है.
क्या होता है एसआईआर?
यह मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) की सटीकता को तय करने को लेकर चुनाव आयोग की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत घर-घर जाकर सत्यापन करना होगा. चुनाव आयोग के अनुसार, इस अभियान का मुख्य लक्ष्य प्रत्येक पात्र नागरिक का नाम सही ढंग से दर्ज हो. कोई भी अपात्र या किसी का नाम दो बार शामिल न हो.
एसआईआर की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने पिछली एसआईआर और इसके बाद के अपडेट के आधार पर एक गणना प्रपत्र (ईएफ) तैयार किया है. ये प्रपत्र बीएलओ की ओर से हर मतदाता के घर पर बांटे जाएंगे.
पात्र मतदाता ये करना होगा
अपना मतदाता पहचान पत्र बीएलओ को दिखाना जरूरी होगा. इसके बाद ईएफ मिलेगा,अपना मोबाइल नंबर बताना होगा. पावती में हस्ताक्षर करने होंगे. फॉर्म सौंपने से पहले बीएलओ ईसीआई मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके इसे स्कैन करना होगा. इसमें क्षेत्र के सभी पात्र मतदाताओं की सूची तैयार होती है. स्कैन के सफल होने के बाद ऐप नीले रंग का चमकता है. ये दर्शाता है कि फॉर्म सौंपा गया है.
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