2 अगस्त को कांग्रेस का 'राष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन' - संविधान पर मंथन करेंगे खरगे, राहुल गांधी

डॉ. सिंघवी ने कहा कि,  "यह सम्मेलन हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य की यात्रा के उस मोड़ पर हो रहा है, जहां हमें अपने संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहरानी होगी."

डॉ. सिंघवी ने कहा कि,  "यह सम्मेलन हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य की यात्रा के उस मोड़ पर हो रहा है, जहां हमें अपने संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहरानी होगी."

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Mohit Dubey
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Congress Photograph: (Social Media)

देश के संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर कांग्रेस पार्टी  आगामी 2 अगस्त को राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में 'राष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन' का आयोजन करने जा रही है. इस सम्मेलन को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी नेता संबोधित करेंगे. कांग्रेस के कानून, मानवाधिकार और सूचना का अधिकार विभाग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन की जानकारी देते हुए विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि यह आयोजन "संवैधानिक चुनौतियां: दृष्टिकोण और रास्ते" थीम पर आधारित होगा.

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डॉ. सिंघवी ने कहा कि,  "यह सम्मेलन हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य की यात्रा के उस मोड़ पर हो रहा है, जहां हमें अपने संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहरानी होगी."

पांच सत्रों में होगा गहन विमर्श

इस ‘राष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन’ में कुल पांच सत्र होंगे, जिनमें निम्नलिखित विषयों पर मंथन होगा:

1. संवैधानिक चुनौतियां
2. सामाजिक न्याय और संविधान
3. धर्म और संविधान
4. शक्तियों का पृथक्करण
5. लोकतांत्रिक जवाबदेही

समापन सत्र: कांग्रेस की संवैधानिक प्रतिबद्धता

अंतिम सत्र का विषय होगा – "संवैधानिक दिशा: लोकतांत्रिक भारत के प्रति कांग्रेस की स्थायी प्रतिबद्धता".

कौन-कौन होंगे मंच पर?

इस सम्मेलन को संबोधित करने वालों में पार्टी के शीर्ष नेता शामिल होंगे:

मल्लिकार्जुन खरगे (कांग्रेस अध्यक्ष)

राहुल गांधी (नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा)

प्रियंका गांधी वाड्रा

केसी वेणुगोपाल (पार्टी महासचिव)

सिद्धारमैया (मुख्यमंत्री, कर्नाटक)

रेवंत रेड्डी (मुख्यमंत्री, तेलंगाना)

सुखविंदर सिंह सुक्खू (मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश)

भूपेश बघेल (पूर्व मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़)

और अन्य वरिष्ठ नेता एवं कानूनी विशेषज्ञ

इस सम्मेलन के जरिए कांग्रेस एक बार फिर यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी संविधान की आत्मा, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. पार्टी इसे राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनाकर सत्तारूढ़ दल पर सीधा हमला भी करने की तैयारी में है.
यह सम्मेलन न केवल कानूनी और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह कांग्रेस की भविष्य की रणनीति और उसकी वैचारिक रीढ़ को भी स्पष्ट रूप से सामने रखेगा.

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