Vasantrao Chavan Passes Away: महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता और नांदेड से सांसद वसंतराव चव्हाण का सोमवार को निधन हो गया. वह 70 साल के थे. वह पिछले कई दिनों से बीमार थे और हैदराबाद के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. हैदराबाद के क्रीम्स अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार रात उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई. इसके बाद सोमवार सुबह उनका निधन हो गया. उनके निधन से कांग्रेस समेत राजनीतिक दलों में शोक की लहर दौड़ गई.
सांस लेने में दिक्कत के बाद अस्पताल में किया था भर्ती
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद उन्हें हैदराबाद के क्रीम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके साथ ही वह ब्लड प्रेशर कम होने से भी परेशान थे. हालांकि पहले जब उनकी तबियत बिगड़ तो उन्हें नांदेड के अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था. लेकिन कुछ समय इलाज करने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें हैदराबाद रेफर कर दिया. तमाम इलाज के बाद भी उनकी तबियत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ.
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ऐसा रहा वसंतराव चव्हाण का राजनीतिक सफर
वसंतराव चव्हाण महाराष्ट्र की राजनीति में दिग्गज नेताओं की सूची में शामिल थे. साल 2009 में वह पहली बार नायगांव विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर राज्य विधानसभा में पहुंचे थे. ये चुनाव उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. जिसमें उन्हें भारी वोटों से जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उनका राजनीतिक कद बढ़ता चला गया. उसके बाद वह सितंबर 2014 में कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस में शामिल होने से पहले उन्हें मई 20214 में लोक लेखा समिति में नियुक्त किया गया था. साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने नायगांव सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार विधानसभा में तक का सफर पूरा किया.
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सरपंच से सांसद तक का सफर
वसंतराव चव्हाण ने सरपंच से सांसद तक का सफर पूरा किया. वह पहली बार साल 1978 में नायगांव गांव के सरपंच बने थे. उसके बाद 2009 और 2014 में लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने नांदेड सीट से जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने बीजेपी के प्रतिद्वंदी चिखलीकर प्रतापराव गोविंदराव को करीब 55 हजार वोटों से हराया था. वसंतराव चव्हाण महाराष्ट्र की राजनीति के उन कुछ चुनिंदा नेताओं में से रहे हैं, जिन्हें जमीन से जुड़ा हुआ माना जाता था. उनके निधन से जहां लोकसभा में कांग्रेस की एक सीट कम हो गई वहीं पार्टी के लिए उनका जाना एक बड़े नुकसान के रूप में भी देखा जा रहा है.