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Supreme Court (ANI)
वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दायर हो गई है. शुक्रवार को कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन बिल 2024 को चुनौती दी है. बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से पास हो गया है. जावेद ने बिल को मौलिक अधिकारों और धार्मिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. उन्होंने इस संशोधन को मुसलमानों से भेदभाव करने वाला बताया है.
Congress MP Mohammad Jawed moves Supreme Court challenging the Waqf (Amendment) Bill, 2025 that has been passed by the Parliament.
— ANI (@ANI) April 4, 2025
The legislation now awaits President Droupadi Murmu's assent to become law. pic.twitter.com/csHd63NVIZ
जावेद लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के व्हिप हैं. वे वक्फ बिल के लिए बनाई गई ज्वाइंट पार्लियामेंटी कमेटी में भी शामिल शामिल थे. उनका कहना है कि ये कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26, 29 और 300 (ए) का उल्लंघन करता है.
इन अनुच्छेद में क्या है
- अनुच्छेद 14- समानता के अधिकार
- अनुच्छेद 25- धर्म का आचरण करने की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 26- धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 29- अल्पसंख्यकों के अधिकार
- अनुच्छेद 300A- संपत्ति के अधिकार
राज्यसभा-लोकसभा में पास हुआ बिल
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया है. बिल को अब बस राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना बाकी है. जावेद मोहम्मद ने एडवोकेट अनस तनवीर के माध्यम से याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा कि कानून मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है. इसमें ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो दूसरे धर्मों की व्यवस्था में नहीं है.
#WATCH | Congress MP Mohammad Jawed moves Supreme Court challenging the Waqf (Amendment) Bill, 2025.
— ANI (@ANI) April 4, 2025
He says, "...Several people in India will file this petition, several parties will do this...In the Parliament, everyone in the Opposition said that this is unconstitutional.… pic.twitter.com/UUM488gtRN
याचिका में क्या बोले कांग्रेस सांसद
याचिका में कहा गया है कि जब हिंदू और सिख ट्रस्ट को स्वनिमयन की छूट है तो वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन क्यों करना है. वक्फ के मामले में राज्यों का हस्तक्षेप असंगत है. ये भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. कांग्रेस सासंद ने आपत्ति जताई है कि अब सिर्फ वही व्यक्ति वक्फ कर पाएगा, जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो. ये अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उन लोगों के साथ भेदभाव है, जिन्होंने इस्लाम धर्म तो अभी अपनाया पर अपनी संपत्ति वक्फ करना चाहते हैं.