सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर विवाद जारी, कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया यह आरोप

जयराम रमेश ने कहा कि कूटनीति में कई बार विश्वास की बुनियाद पर चीजें तय होती हैं, खासकर सत्ता और विपक्ष के बीच हमने सरकार पर भरोसा करते हुए ईमानदारी से चार नाम भेजे थे.

Mohit Dubey & Mohit Sharma
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Congress National General Secretary Jairam Ramesh

Congress National General Secretary Jairam Ramesh Photograph: (Social Media)

भारत के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद विश्व बिरादरी में पाकिस्तान को बेनकाब करने लिए बनाए गए सर्वदलीय प्रतिनिधमंडल को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए भेजे गए नामों पर गौर न करने को लेकर कांग्रेस-बीजेपी में जुबानी जंग जारी है. कांग्रेस जहां बीजेपी पर तरह-तरह के आरोप लगा रही है तो बीजेपी भी उनके हर बयान को काउंटर कर रही है. इस क्रम में  कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर सरकार ने कांग्रेस के साथ विश्वासघात किया है. ये सिर्फ एक कूटनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि भरोसे की भी बात है. जयराम रमेश ने बताया कि बीते शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी से संपर्क किया बातचीत में बताया गया कि एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल जा रहा है और कांग्रेस से उसमें शामिल करने के लिए चार नाम भेजने को कहा गया. राहुल गांधी ने दोपहर 12:30 बजे तक किरण रिजिजू को पत्र लिखकर चार नाम भेज दिए.

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कूटनीति में कई बार विश्वास की बुनियाद पर चीजें तय होती हैं

कांग्रेस का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनके सुझाए गए चारों नाम प्रतिनिधिमंडल में शामिल किए जाएंगे, लेकिन शनिवार को जब सरकार की प्रेस रिलीज़ सामने आई, तो पार्टी हैरान रह गई. जयराम रमेश ने कहा कि कूटनीति में कई बार विश्वास की बुनियाद पर चीजें तय होती हैं, खासकर सत्ता और विपक्ष के बीच हमने सरकार पर भरोसा करते हुए ईमानदारी से चार नाम भेजे थे. लेकिन सरकार का रवैया ईमानदारी से भरा नहीं, बल्कि राजनीतिक खेल की तरह लग रहा है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हम तो सीधे बैट से खेल रहे हैं, लेकिन सरकार किस बैट से खेल रही है, ये अब तक समझ नहीं आ रहा. इतना गंभीर मामला है, लेकिन सरकार इसमें भी सियासी चालें चल रही है.

1971 में कोई डैमेज कंट्रोल नहीं किया गया

कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने शुरुआत से एक विशेष प्रतिनिधिमंडल भेजने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया. इससे साफ है कि सरकार अब अपने नैरेटिव को संभालने की कोशिश कर रही है. जयराम रमेश ने 1971 की स्थिति से तुलना करते हुए कहा कि तब कोई डैमेज कंट्रोल नहीं किया गया था, बल्कि मजबूत नेतृत्व और स्पष्ट नरेटिव था. आज के हालात अलग हैं, अब सिर्फ डैमेज कंट्रोल हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू में फिर से व्यापार का ज़िक्र किया है. रमेश का आरोप है कि व्यापार का लालच दिखाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोका गया. एक तरफ हमारे नेताओं को गद्दार कहा जाता है और दूसरी तरफ सरकार खुद ‘नारद मुनि’ की भूमिका निभा रही है.

कांग्रेस ने अपनी ओर से यह प्रमुख मांगें रखी हैं:

  • सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मौके पर भेजा जाए और उसे पूरी स्वतंत्रता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाने दी जाए
  • सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई जाए, जिससे व्यापक चर्चा हो सके
  • संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए ताकि इस गंभीर मुद्दे पर लोकतांत्रिक तरीके से संवाद हो

बीजेपी ने किया पलटवार

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के बयान पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर में हमारे सशस्त्र बलों ने अपनी असाधारण वीरता और सटीक क्षमता का परिचय दिया है. पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने आतंकवाद पर भारत सरकार की नई नीति को स्पष्ट रूप से बताया है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि आतंकवाद के किसी भी कृत्य का पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा. आतंकवाद को लेकर भारत की नीति सबके सामने है, फिर भी विपक्ष सवाल उठा रहा है. उन्होंने कहा कि वो (कांग्रेसी) कहते हैं कि वे सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं और फिर वे ये सवाल पूछते हैं. सरकार के साथ खड़े होने का रुख उनका मुखौटा है. ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है और उनके लगातार सवाल उनकी मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं, जो संदिग्ध लगता है. 

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