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भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की सुनवाई पर बड़ा फैसला किया है. उनका कहना है कि लीगल इमरजेंसी में कोई भी व्यक्ति किसी भी वक्त अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं. सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी की धमकी देने वाली स्थिति में अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आधी रात को भी सुनवाई की मांग की जा सकती है.
सीजेआई सूर्यकांत का कहना है कि मैं प्रयास कर रहा हूं कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रहें. न्यायालय की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी व्यक्ति लीगल इमरजेंसी में कोर्ट पहुंचा जा सकता है. सीजेआई ने कहा कि न्यायालयों में भारी संख्या में याचिकाएं लंबित हैं. इनको निपटाने के लिए अधिक से अधिक संवैधानिक पीठ का गठन करने की आवश्यकता है. एसआईआर जैसे मुद्दों की याचिकाएं भी इसमें शआमिल है. दरअसल, 11 राज्यों में एसआईआर जारी है, जिसको अदालत में चुनौती दी गई है.
9 सदस्यीय पीठ बनाने पर विचार
सीजेआई की मानें तो सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले सर्वोच्च अदालत के फैसले के खिलाफ भी याचिका दायर हुई है. मामला धार्मिक स्वतंत्रता और महिला के अधिकारों के बीच टकराव का है. इसके लिए नौ सदस्यीय पीठ की आवश्यकता है.
वकीलों के लिए भी बदले नियम
जीफ जस्टिस सूर्यकांत ने नए नियम लागू करने के आदेश दे दिए हैं. उनका कहना है कि वकील कई दिनों तक बहसबाजी नहीं कर सकते हैं. इसके लिए समयसीमा लागू की गई है. सर्वोच्च अदालत में वकील अब समयसीमा में अपनी दलीलें रखेंगे. वकीलों को सीमा का कड़ाई से पालन करना ही होगा.
कब-कब हुई आधी रात को सुनवाई?
ऐसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले कभी सुनवाई नहीं की है. 2005-06 में सर्वोच्च अदालत ने निठारी कांड, 1992 में राम जन्मभूमि विवाद, 2018 में कर्नाटक सरकार मामला, 1993 में याकूब मेमन को फांसी सुनाने वाले मामले की भी आधी रात में सुनवाई हुई थी.
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