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बांग्लादेश के हालात पर बोले CJI चंद्रचूड़, कहा- जो हो रहा है वह याद दिलाता है...

देश में आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में अयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया. 

देश में आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में अयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया. 

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Mohit Saxena
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मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Social media)

आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बड़ा दिया है. उन्होंने कहा कि यह वह दिन है, जो हमें संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने में एक-दूसरे और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की याद दिलाता है. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत ने 1950 में स्वतंत्रता के विकल्प को चुना था. सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए  CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, भारत ने 1950 में स्वतंत्रता के विकल्प का चुनाव किया था. आज बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह बात की याद दिलाता है कि आजादी की कीमत क्या है. 

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CJI ने बांग्लादेश का जिक्र क्यों किया?

बांग्लादेश के मौजूदा हालात को लेकर सीजीआई ने आजादी के महत्व को उजागर किया. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश इस समय संकट के दौर में हैं. भारत के इस पड़ोसी मुल्क में अशांति बरकरार है. देश में आरक्षण के विरुद्ध जमकर​ हिंसा का दौर देखने को मिल रहा है. जून में आंदोलन शुरू हुआ और इसके बाद हिंसा चरम पर पहुंच गई. इसके बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को झुकना ही पड़ा. उन्हें देश को छोड़कर भागना पड़ा और उन्होंने भारत की शरण ली है. शेख हसीना जाने के बाद बांग्लादेश में इस समय अंतरिम सरकार है. मोहम्मद युनूस इसके सर्वेसर्वा हैं. 

अपने संबोधन में CJI डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि इस दिन हम उस प्रतिबद्धता का सम्मान करते हैं जो इस जीवन को महान बनाने को लेकर काम कर रहे हैं. हम सभी कोलोनियल एरा की पृष्ठभूमि में संविधान के बारे में बात करते हैं.

CJI ने वकीलों को किया याद

सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस दौरान उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद दिलाया, जिन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़ी और देश को आजादी दिलाने मर मिटे. इस दौरान कई वकीलों ने अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़  दी और खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया. यह सूची काफी लंबी है, बाबासाहेब, जवाहरलाल नेहरू, कृष्णास्वामी अय्यर आदि गई ऐसे लीडर निकले, जिन्होंने न केवल भारत को आजादी दिलाने  में बल्कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना में अहम भूमिका अदा की. 

उतार-चढ़ाव भरे संघर्ष को दिखाता है

उन्होंने कहा कि बीते 24 वर्षों से एक न्यायाधीश के रूप में वे दिल पर हाथ रखकर कह सकते हैं  कि अदालतों का काम आम भारतीयों के रोजमर्रा के जीवन के उतार-चढ़ाव भरे संघर्ष को दिखाता है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सभी क्षेत्रों, जातियों, लिंगों और धर्मों के गांवों और महानगरों से न्याय मांगने वाले वादियों की भीड़ देखी जा रही है. कानूनी समुदाय अदालत को नागरिकों के संग न्याय  करने की इजाजत देता है.

 

 

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