दिन निकलते ही आई बड़ी खबरः अब भारत के इन दो पड़ोसी देशों में छिड़ेगी भीषण जंग! एक के पास परमाणु बमों की भरमार

ईरान-इजरायल विवाद के बाद एक बार फिर दुनिया के दो देशों में युद्ध के आसार नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि किसी भी समय दोनों देशों के पीच भीषण जंग छिड़ सकती है.

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Mohit Sharma
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ईरान-इजरायल विवाद के बाद एक बार फिर दुनिया के दो देशों में युद्ध के आसार नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि किसी भी समय दोनों देशों के पीच भीषण जंग छिड़ सकती है.

चीन और ताइवान में जंग में छिड़ी तो दक्षिण चीन सागर में वर्चस्व के लिए जोर आजमाइश होगी. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि नौसेना के मामले में दोनों देश कहां ठहरते हैं. दोनों देशों में कौन सा देश समंदर का बाहुबली है. आंकड़ों के जरिए अगर आप देखें तो चीन के पास हैं 777 नौसैनिक फ्लीट्स हैं जबकि ताइवान के पास सिर्फ 117 यानी बहुत बड़ा फासला है. चीन और ताइवान के बीच चीन के पास तीन विमान वाहक युद्धपोत हैं, जबकि ताइवान की नौसेना के पास एक भी युद्धपोत नहीं है. चीन की नेवी के पास 79 पनडुपियां हैं जबकि ताइवान के पास सिर्फ चार सबमरीन हैं. बात अगर डेस्ट्रॉय की करें तो चीन के पास 41 डेस्ट्रॉय हैं, वहीं ताइवान के पास सिर्फ चार.

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नौसेना में कौन आगे, कौन पीछे

 वहीं, चीन की नेवी के पास 49 और ताइवान के पास सिर्फ 22 फ्रिगेट्स हैं. साफ है नौसेना की ताकत के मामले में चीन के सामने ताइवान कहीं नहीं ठहरता है. चीन जो रणनीति बना रहा है वो अगर कामयाब हुई तो ताइवान का बचना काफी मुश्किल होगा. चीन की कोशिश समंदर ही नहीं बल्कि ताइवान के एयर स्पेस पर भी कब्जा करने की होगी. अपनी ताकतवर वायु सेना के सहारे चीन की सेना ताइवान को मिलने वाली किसी भी संभावित मदद के रास्ते बंद करने की कोशिश करेगी. चीन के फाइटर जेट्स साउथ चाइना सी में लगातार फर्राटे भर रहे हैं. चीन की एयरफोर्स की तैयारी जंगी खतरे का सायरन बजा रही है. ताइवान को दहलाने के लिए चीन की एयरफोर्स किसी भी वक्त ऑपरेशन शुरू करने के संकेत दे रही है.

चीन की एयरफोर्स पूरी तरह से तैयार 

यानी चीन की एयरफोर्स पूरी तरह से तैयार है. बस तय वक्त का इंतजार है. चीन ने ताइवान पर कब्जे की जो योजना बनाई है. उसके मुताबिक चीन की वायुसेना J20 स्टील फाइटर जेट्स समेत 3000 से ज्यादा विमानों के साथ कुछ ही घंटों में हवाई श्रेष्ठता हासिल कर लेगी. TF17 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों से सटीक हमले करके ताइवान की वायु सुरक्षा और कमांड सेंटर्स को तबाह कर दिया जाएगा. इसके साथ ही पीएलए की रॉकेट फोर्स बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइलों की बौछार से ताइवान को दहला देगी. डीएफ 21 डी कैरियर किलर के साथ यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई विदेशी नौसैनिक दखल खासकर अमेरिका की तरफ से ना हो सके. इसके बाद चीन की साइबर वारफेयर यूनिट ताइवान के कम्युनिकेशन नेटवर्क पर कब्जा कर लेगी. किसी भी तरह के प्रतिरोध को रोकने के लिए चीन के शांतिपूर्ण पुनर्मिलन के प्रोपेगेंडा को प्रसारित किया जाएगा.

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