चीन को चुभा सलमान की फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान का टीजर', फिर कह दी ये बात

China On Battle Of Galwan: फिल्म में सलमान खान कर्नल संतोष बाबू की भूमिका निभा रहे हैं. इस पर ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि भारतीय मीडिया ने उनकी भूमिका को 'तथाकथित रूप से बढ़ा-चढ़ाकर' पेश किया है.

China On Battle Of Galwan: फिल्म में सलमान खान कर्नल संतोष बाबू की भूमिका निभा रहे हैं. इस पर ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि भारतीय मीडिया ने उनकी भूमिका को 'तथाकथित रूप से बढ़ा-चढ़ाकर' पेश किया है.

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Dheeraj Sharma
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China On Battle Of Galwan

China On Battle Of Galwan: बॉलीवुड के दबंग यानी सलमान खान की अपकमिंग फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवान’ रिलीज से पहले ही खूब सुर्खियां बटोरी चुकी है.  इस फिल्म के टीजर रिलीज होते ही न सिर्फ भारत में चर्चा का विषय बन गया, बल्कि चीन में भी खलबली मचा दी है.  यह फिल्म गलवान घाटी में 2020 में हुए संघर्ष और उसमें शहीद हुए कर्नल बिक्कुमाला संतोष बाबू की वीरता को केंद्र में रखती है. फिल्म 17 अप्रैल 2026 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है, लेकिन उससे पहले ही इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखने लगा है.

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चीनी सरकारी मीडिया की तीखी प्रतिक्रिया

चीन के सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने फिल्म के टीजर पर एक लंबी और तीखी रिपोर्ट प्रकाशित की है. अखबार ने दावा किया कि कोई भी 'सिनेमाई रचनात्मकता' इतिहास को दोबारा नहीं लिख सकती और न ही PLA (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के संप्रभुता की रक्षा करने के संकल्प को कमजोर कर सकती है.

ग्लोबल टाइम्स ने सलमान खान को चीनी दर्शकों के बीच लोकप्रिय फिल्म बजरंगी भाईजान से जोड़ते हुए तंज कसा और कहा कि उन्हें अक्सर 'ओवर-द-टॉप' और अतिशयोक्तिपूर्ण किरदार निभाने वाला अभिनेता माना जाता है.

कर्नल संतोष बाबू के किरदार पर सवाल

फिल्म में सलमान खान कर्नल संतोष बाबू की भूमिका निभा रहे हैं. इस पर ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि भारतीय मीडिया ने उनकी भूमिका को 'तथाकथित रूप से बढ़ा-चढ़ाकर' पेश किया है. अखबार का कहना है कि गलवान संघर्ष को भारतीय दृष्टिकोण से दिखाकर फिल्म एकतरफा कहानी गढ़ रही है.


चीन का आधिकारिक रुख और आरोप

ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के हवाले से दोहराया कि गलवान घाटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के चीनी हिस्से में आती है और वहां चीनी सैनिक वर्षों से गश्त करते आ रहे हैं. अख़बार ने भारत पर आरोप लगाया कि उसने इलाके में सड़कें और ढांचे बनाकर उकसावे वाली गतिविधियां कीं.

‘राष्ट्रवादी भावना भड़काने’ का आरोप

चीनी सैन्य विशेषज्ञ सॉन्ग झोंगपिंग ने दावा किया कि भारत राष्ट्रवादी भावना भड़काने के लिए फिल्मों का इस्तेमाल करता रहा है. उनके मुताबिक, फिल्में चाहे कितनी भी नाटकीय क्यों न हों, वे गलवान घटना के 'मूल तथ्यों' को नहीं बदल सकतीं.

क्या है गलवान का संघर्ष

बता दें कि जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. 15-16 जून की रात हुए इस संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए, जिनमें कर्नल संतोष बाबू भी शामिल थे. यह घटना भारत-चीन संबंधों में एक गंभीर मोड़ साबित हुई.

‘बैटल ऑफ गलवान’ अभी रिलीज भी नहीं हुई है, लेकिन उसका टीजर ही यह साफ कर रहा है कि यह फिल्म सिर्फ सिनेमा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील ऐतिहासिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है. भारत में जहां इसे शौर्य और बलिदान की कहानी माना जा रहा है, वहीं चीन इसे राष्ट्रवादी प्रोपेगेंडा बताकर खारिज करने में जुटा है.

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