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जस्टिस गवई होंगे देश के अगले सीजेआई
Chief Justice Of India: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Justice BR Gavai) देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को मंगलवार को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया. जस्टिस गवई 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. बता दें कि वर्तमान मुख्य न्यायाशीध न्यायमूर्ति संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं. उसके अगले दिन यानी 14 मई को जस्टिस गवई उनका स्थान लेंगे.
वह देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं. कानून मंत्रालय ने मंगलवार को जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की. बता दें कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत 16 अप्रैल को जस्टिस गवई का नाम सीजेआई संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को सिफारिश के रूप में भेजा गया था. देश के अगले सीजेआई के रूप में जस्टिस गवई का कार्यकाल सिर्फ छह महीने का होगा. वह 23 दिसंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे.
[BREAKING] President Droupadi Murmu clears appointment of Justice BR Gavai as the next Chief Justice of India with effect from May 14, 2025. pic.twitter.com/5gtthHn1Rp
— Bar and Bench (@barandbench) April 29, 2025
भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं जस्टिस गवई
बता दें कि जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भी भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे. वह साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे. जो देश के पहले दलित मुख्य न्यायाधीश रहे.
बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं जस्टिस गवई के पिता
न्यायमूर्ति बीआर गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को हुआ था. जस्टिस गवई के पिता आरएस गवई एक मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता थे. उनके पिता बिहार और केरल के राज्यपाल भी रहे. जस्टिस गवई ने अपनी वकालत की शुरुआत साल 2003 में बॉम्बे उच्च न्यायालय में बतौर एडिश्नल जज के रूप में की थी. इसके बाद वह साल 2005 में स्थायी जज नियुक्त किए गए. जस्टिस गवई ने 15 वर्षों तक मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की पीठ में अपनी सेवाएं दीं.
बता दें कि जस्टिस बीआर गवई कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ का हिस्सा रहे हैं. वह साल 2016 में देश में नोटबंदी को लेकर दिए गए फैसले वाली पीठ में भी शामिल थे. जिसमें कहा गया था कि सरकार को करेंसी को अवैध घोषित करने का अधिकार है. इसके अलावा जस्टिस गवई ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ भी आदेश दिया है. वह इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर फैसला देने वाली पीठ का भी हिस्सा रहे हैं.