पश्चिम बंगाल में कब शुरू होगा SIR और क्या होगी तारीख? CEC ज्ञानेश कुमार ने दिया जवाब

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाए, अगर मतदाता द्वारा अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाए, अगर मतदाता द्वारा अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए

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Mohit Sharma
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election Commission Photograph: (News Nation)

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को भारतीय चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कानून के अनुसार, हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो चुनाव आयोग उन राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है. चुनाव आयोग के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं... पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की है. SIR की प्रक्रिया में, सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख BLA ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है.

भ्रम पैदा करने की कोशिश

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भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित BLA के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टेमोनियल या तो उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है. सभी हितधारक मिलकर काम करके बिहार के SIR को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाए, अगर मतदाता द्वारा अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए, और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास किया जाए, तो यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है? भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं. उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया. क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता, चाहे वह उनकी मां हो, बहू हो, बेटी हो, उनके CCTV वीडियो साझा करने चाहिए? जिनके नाम मतदाता सूची में हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं.

प्रत्येक उम्मीदवार को एक पोलिंग एजेंट नामित करने का अधिकार

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एक बार जब SDM द्वारा अंतिम सूची प्रकाशित हो जाती है, तो मसौदा सूची राजनीतिक दलों के साथ भी साझा की जाती है और अंतिम सूची भी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है, यह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है. मतदान केंद्रवार सूची दी जाती है. प्रत्येक उम्मीदवार को एक पोलिंग एजेंट नामित करने का अधिकार है और यही सूची पोलिंग एजेंट के पास भी होती है. रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा परिणाम घोषित करने के बाद भी, एक प्रावधान है कि आप 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और चुनाव को चुनौती दे सकते हैं. जब 45 दिन पूरे हो जाते हैं चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो, बिहार हो, और जब किसी भी पार्टी को 45 दिनों में कोई गलती नहीं मिली, तो आज इतने दिनों के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे उनका मकसद क्या है, यह पूरे देश के लोग समझते हैं.

पश्चिम बंगाल के SIR की तारीख पर क्या बोले चुनाव आयुक्त

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारत के नागरिक ही विधायक, सांसद का चुनाव कर सकते हैं, किसी अन्य देश के नागरिकों को यह अधिकार नहीं है. अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो SIR प्रक्रिया में उनकी पात्रता साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं, जिनकी 30 सितंबर तक पूरी जांच होगी और ऐसे केस में गहन जांच के दौरान ऐसे लोग पाए जाएंगे जो हमारे देश के नागरिक नहीं हैं और निश्चित तौर से उनका वोट नहीं बनेगा. भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जहां तक पश्चिम बंगाल के SIR की तारीख का सवाल है तो हम तीनों कमिश्नर उचित समय देखकर निर्णय लेंगे, चाहे वह पश्चिम बंगाल में हो या देश के अन्य राज्यों में, आने वाले समय में इसकी तारीखों की घोषणा की जाएगी.

कानून सभी पर समान रूप से लागू

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सवाल था कि आप कुछ लोगों से फॉर्म 7 और कुछ लोगों से शपथ पत्र क्यों मांग रहे हैं, इसका जवाब है कि लोक प्रतिनिधित्व कानून, जो सभी के लिए समान है, में यदि आप उस निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक हैं, तो आपको समय पर शिकायत करने का पूरा अवसर मिलता है, आप फॉर्म 6, फॉर्म 7, फॉर्म 8 भर सकते हैं. बशर्ते आप उस विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक हों. लेकिन यदि आप वहां के निर्वाचक नहीं हैं और आप अपनी शिकायत को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके पास कानून में केवल एक ही विकल्प है और वह है निर्वाचन नियमों का पंजीकरण, नियम संख्या 20 उपखंड 3 उपखंड बी जो कहता है कि यदि आप उस विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक नहीं हैं, तो आप एक गवाह के रूप में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को आपको शपथ देनी होगी और वह शपथ उस व्यक्ति के सामने एडमिनिस्टर करानी होगी जिसके खिलाफ आपने शिकायत की है. यह कानून सभी पर समान रूप से लागू है.

Chief Election Commissioner chief election commissioner gyanesh kumar Bihar SIR
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