कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीपीई) से भर्ती के बाद अनिवार्य ब्रिज कोर्स के बिना विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल न्यायाधीश पीठ ने डब्ल्यूबीबीपीई को 18 अगस्त तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले पर 21 अगस्त को फिर से सुनवाई होगी।
अदालत के संज्ञान में यह लाया गया है कि विभिन्न सरकारी स्कूलों में कार्यरत लगभग 6,000 प्राथमिक शिक्षकों को भर्ती के बाद अनिवार्य ब्रिज कोर्स से गुजरना पड़ता है।
यह भी नोट किया गया कि जिन लोगों ने 2018 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण की, उन्हें 2020 में भर्ती पत्र मिला। वे पहले से ही विभिन्न राज्य संचालित स्कूलों में कार्यरत थे और उन्होंने ब्रिज कोर्स किए बिना प्राथमिक शिक्षकों के रूप में वहां काम किया।
इस मामले में भाजपा नेता और कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील तरुणज्योति तिवारी ने जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच के सामने याचिका दायर की थी।
सोमवार को अपने तर्क में तिवारी ने दलील दी कि ब्रिज कोर्स पूरा न करना उन्हें योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों के पद के लिए अयोग्य बनाता है।
तिवारी ने सवाल किया, उस मामले में, जिन्होंने ब्रिज कोर्स नहीं किया, वे प्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षकों की तरह बी-श्रेणी के वेतन के हकदार कैसे हैं।
उन्होंने तर्क दिया कि जिन शिक्षकों ने अनिवार्य पाठ्यक्रम पूरा नहीं किया है, उन्हें तुरंत उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
राज्य सरकार ने सोमवार को इस मामले में कोई पक्ष नहीं रखा।
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Source : IANS