प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को कैबिनेट मीटिंग हुई. मीटिंग में आपातकाल को लेकर एक प्रस्ताव पास हुआ, जिसमें कहा गया कि आपातकाल में लोकतंत्र की हत्या हुई थी. इसकी कड़ी निंदा की गई है. आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर केंद्र सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाई, जिसमें ये प्रस्ताव पास हुआ.
प्रस्ताव में कहा गया कि इमरजेंसी के पहले और उसके दौरान, देशभर में लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन हुआ. नागरिकों का मौलिक अधिकारी छीना गया. कई निर्दोष लोगों को अत्याचारों का सामना करना पड़ा. मौके पर आपातकाल के पीड़ितों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी ने केंद्रीय मंत्रियों ने श्रद्धांजलि दी. उन्होंने पीड़ितों के सम्मान में दो मिनट का मौन भी रखा. सभी मंत्री खड़े होकर मौन में शामिल हुए.
जानें कौन हैं लोकतांत्रिक सेनानी
कैबिनेट मीटिंग में दावा किया गया कि आपातकाल में मानवीय स्वतंत्रता और गरिमा को नष्ट किया गया है. कैबिने मीटिंग में जारी बयान में आपातकाल का विरोध करने वाले लोगों को लोकतंत्र सेनानी कहा गया है. कैबिनेट ने युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों से अपील की है कि वे इन लोकतांत्रिक सेनानियों से सीखएं. बयान में कहा गया कि इन वीरों ने तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध किया. हमारे संविधान और लोकतांत्रिक भावना की इन्होंने दृढ़ता से रक्षा की.
मीटिंग ने इन प्रस्तावों को मंजूरी
- पुणे शहर की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था संभालने के लिए पुणे मेट्रो की लाइन-2 पर मुहर लगाई गई है. 80km का नेटवर्क बनाया जाएगा. प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने 3626 करोड़ रुपए अप्रूव किए गए है.
- झरिया कोलफील्ड के आग की समस्या के चलते ये फैसला किया गया है. अब एक नया मास्टर प्लान अप्रूव हुआ है. 5940 करोड़ रुपये के मास्टर प्लान को मंजूरी दी गई है.
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है. आगरा में रीजनल पोटैटो सेंटर बनेगा. 111.5 करोड़ इसकी लागत होगी.