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Bullet Train: भारत का पहला बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, अब तेज रफ्तार से हकीकत की ओर बढ़ रहा है. इसको लेकर लगातार रेलवे की ओर से जानकारी भी साझा की जाती है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से एक वीडियो साझा किया गया है. इसमें दिखाया गया है कि बुलेट प्रोजेक्ट के तहत अब तक 300 किलोमीटर लंबा वायाडक्ट (ऊंचा पुल) तैयार हो चुका है. यह न केवल भारत की इंजीनियरिंग शक्ति का प्रतीक है, बल्कि देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता का भी संकेत देता है. जल्द ही भारतीय बुलेट ट्रेन की सवारी करते नजर आएंगे.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्ण ने हाल में अपने एक्स हैंडल पर बुलेट ट्रेन से जुड़ी जानकारी साझा की है. उन्होंने पहले बुलेट रेलवे स्टेशन की झलक दिखाई है. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह बुलेट ट्रेन के ट्रैक और स्टेशन तैयार किया जा रहा है. रेलवे स्टेशन का काम भी करीब-करीब पूरा हो गया है.
बता दें कि बुलेट मेगाप्रोजेक्ट में 257.4 किलोमीटर वायाडक्ट का निर्माण फुल स्पैन लॉचिंग तकनीक से हुआ है, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में 10 गुना तेज़ है. इस तकनीक में हर एक स्पैन गर्डर लगभग 970 टन वजनी होता है और यह एक बार में पूरा उठाकर सेट किया जाता है, इससे निर्माण समय में काफी बचत हुई है और सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है.
300 km viaduct completed.
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) May 20, 2025
— Bullet Train Project pic.twitter.com/dPP25lU2Gy
एक और बड़ी उपलब्धि यह है कि इस प्रोजेक्ट में प्रयुक्त अधिकांश मशीनरी और तकनीक भारत में ही तैयार की गई है. लॉन्चिंग गैंट्री, ब्रिज गैंट्री और गर्डर ट्रांसपोर्टर्स जैसी भारी मशीनों को भारत में ही डिजाइन और मैन्युफैक्चर किया गया है. यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब हाई-स्पीड ट्रेन टेक्नोलॉजी में भी आत्मनिर्भर बन रहा है.
अब तक इस परियोजना में 383 किमी पियर्स, 401 किमी फाउंडेशन और 326 किमी गर्डर कास्टिंग का कार्य पूरा हो चुका है. सूरत में बन रहा भारत का पहला बुलेट ट्रेन स्टेशन लगभग तैयार है और गुजरात में 157 किमी ट्रैक बेड बिछाया जा चुका है. आवाज की समस्या को कम करने के लिए वायाडक्ट के दोनों ओर 3 लाख से ज्यादा नॉइज़ बैरियर लगाए जा रहे हैं.
यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा तो अगले वर्ष ट्रायल रन शुरू हो सकता है. उम्मीद है कि अगस्त 2026 तक सूरत से बिलीमोरा के बीच बुलेट ट्रेन का ट्रायल रन शुरू हो जाए. लेकिन पूरी सेवा शुरू होने में 2029 तक का वक्त लग सकता है. पूरे रूट पर 12 स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं, जिनमें अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी. साथ ही महाराष्ट्र और गुजरात में विशेष डिपो भी बनाए जा रहे हैं.
भारत में इस प्रोजेक्ट में जापानी सहयोग से बनी शिंकानसेन ट्रेन के कोच भी शामिल होंगे, जिनके 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में आने की संभावना है. इससे भारत को विश्वस्तरीय हाई-स्पीड रेल नेटवर्क खड़ा करने में मदद मिलेगी.
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