हिमालय में 17341 फुट की ऊंचाई पर बढ़ी भारत की ताकत, भारत-चीन सीमा के पास BRO ने बनाई सड़क

भारत औऱ चीन के बीच सीमाओं को लेकर तनाव लंबे समय से चला आ रहा है. चीन भारतीय सीमाओं के निकट अक्सर सड़क व अन्य निर्माण गतिविधियों में व्यस्त रहता है.

भारत औऱ चीन के बीच सीमाओं को लेकर तनाव लंबे समय से चला आ रहा है. चीन भारतीय सीमाओं के निकट अक्सर सड़क व अन्य निर्माण गतिविधियों में व्यस्त रहता है.

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Manoj Sharma
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Iindo China road

भारत औऱ चीन के बीच सीमाओं को लेकर तनाव लंबे समय से चला आ रहा है. चीन भारतीय सीमाओं के निकट अक्सर सड़क व अन्य निर्माण गतिविधियों में व्यस्त रहता है. अब भारत ने भी भारत-चीन सीमाओं के निकट सड़कों का जाल बिछाना शुरू कर दिया है. सीमा सड़क संगठन ने उत्तराखंड में हिमालय में 17,341 फुट की ऊंचाई पर एक ऐसी ही परियोजना को पूरा किया है, जिससे वहां भारत की ताकत बढ़ गई है.

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17,341 फुट की ऊंचाई पर सड़क का निर्माण

सीमा सड़क संगठन ने उत्तराखंड में हिमालय में भारत-चीन सीमा के पास प्रोजेक्ट शिवालिक के तहत हजारों फुट की ऊंचाई पर एक बेहद दुर्गम स्थान पर सड़क का निर्माण किया है, जिसका रणनीतिक रूप से काफी महत्व है. करीब 70 किलोमीटर लंबी इस सड़क का नाम सुमना-लाप्थल-टोपीडुंगा सड़क है. यह सड़क प्रदेश के चमोली जिले में स्थित है औऱ समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 17,341 फुट है. जल्द ही इस सड़क का डामरीकरण किया जाएगा और तब इस पर वाहनों का चलना शुरू हो जाएगा.

दो शिफ्टों में बीआरओ की टीम ने किया लगातार काम

खड़ी चढ़ाई होने और चीन की सीमा के नजदीक होने की वजह से यह सड़क रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. इतनी अधिक ऊंचाई और दुर्गम परिस्थितियों की वजह से सीमा सड़क संगठन को यहां सड़क का निर्माण करने के लिए विशेष इंतजाम करने पड़े. बीआरओ ने यहां दो शिफ्टों में लगातार काम करके सड़क निर्माण के काम को पूरा किया. 

भारतीय सेना के लिए सीमा तक पहुंचना औऱ रसद पहुंचाना हुआ आसान

इस सड़क के निर्माण से पहले इस क्षेत्र में भारत-चीन सीमा तक इंडियन आर्मी के जवानों का पहुंचना और उनके लिए रसद पहुंचाना काफी कठिन कार्य था. इसमें समय भी ज्यादा लगता था. लेकिन अब इस सड़क के बनने से भारत-चीन सीमा तक रसद पहुंचाना और इंडियन आर्मी और आईटीबीपी के जवानों का पहुंचना पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है. युद्ध के हालात में भारतीय सेना काफी कम समय में वहां पहुंच सकती है, यहां से चीनी क्षेत्र पर नजर ऱखना भी आसान हो गया है. बताया जा रहा है कि 2026 के आरंभ तक इस सड़क का विस्तार ठीक भारत-चीन सीमा तक कर दिया जाएगा.

उत्तराखंड के दूरदराज के क्षेत्रों को भी यह सड़क जोड़ेगी

इस सड़क का सामरिक महत्व तो है ही, प्रदेश के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों को भी यह सड़क आपस में जोड़ देगी. इससे उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र सीधे जुड़ जाएंगे. इससे गढ़वाल-कुमाऊं की सीमा पर बसे गांवों का भी सामाजिक व आर्थिक विकास होगा. यहां की यात्रा सुगम हो जाने की वजह से पर्यटन का विकास भी होगा.

road at 17341 feet height road near India-China border BRO
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