'ब्रेस्ट पकड़ना या पजामे का नाड़ा खोलना रेप नहीं' टिप्पणी वाले इलाहाबाद HC जज पर अब सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात, फैसले को लेकर भी उठाया कदम

इलाहाबाद हाई कोर्ट के रेप मामले से जुड़े विवादित बयान को लेकर देश की शीर्ष अदालत ने बड़ा फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है.

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Dheeraj Sharma
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Supreme Court Stay on Allahabad HC Verdict

Supreme Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज की ओर से हाल में एक मामले में रेप पर अजीब टिप्पणी देकर सुर्खियां बटोरी थी. इस टिप्पणी में उन्होंने ब्रेस्ट को छूने या फिर पजामे का नाड़ा खोलने को रेप की श्रेणी में नहीं माना था. उनके इसी फैसले को लेकर अब देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की ओर से सख्त टिप्पणी आई है. यही नहीं शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक भी लगा दी है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक

दुष्कर्म मामले में देश की शीर्ष अदालत ने उस विवादित आदेश पर रोक लगा दी है जो इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज की ओर से दिया गया था. इस आदेश में उन्होंने ब्रेस्ट पकड़ना या फिर पजामे के नाड़े को खोलना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं बताया था. हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और फैसले पर रोक लगाई. 

हाई कोर्ट के फैसले में संवेदनशीलता की कमी

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को संवेदनशीलता की कमी भी बताया. मामले पर जस्टिस भूषण आर गवई ने सुनवाई की. उन्होंने कहा कि हमें एक न्यायाधीश की ओर से ऐसे कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए खेद है. सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी कहा कि हमने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को देखा है और इसका कुछ हिस्सा सही नहीं है. 

इन फैसलों पर लगाई रोक

सु्प्रीम कोर्ट ने आदेश के कुछ पैराग्राम पर असंवेदनशील भी बताया. शीर्ष अदालत के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से दिए गए आदेश में पैराग्राम नंबर 24, 25 और 26 में हमें संवेदनशीलता की कमी दिखी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने ये फैसला तुरंत नहीं दिया बल्कि इसके लिए पूरा टाइम भी लिया. बावजूद इसके लिए कोर्ट का यह फैसला संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है. 

दोबारा होगी सुनवाई

शीर्ष अदालत ने कहा है कि पीड़िता की मां ने भी कोर्ट में अर्जी लगाई है. उसकी याचिका को भी इस आदेश के साथ जोड़ा जाएगा और दोबारा इस मामले में सुनवाई होगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर भी रोक लगा दी है. 

क्या है पूरा मामला 

ये मामला 17 मार्च को दिए इलाहाबाद एचसी के जज की टिप्पणी के बाद सुर्खियों में आया. दरअसल 11 वर्ष की लड़की से रेप की कोशिश की गई थी. इसको लेकर हाई कोर्ट जज ने टिप्पणी में कहा था कि ब्रेस्ट को छूना या फिर पजामे का नाड़ा खोलना न तो रेप और न ही रेप के प्रयास की श्रेणी में आता है. उनके इस बयान पर सभी ने हैरानी जताई थी. 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या लिया फैसला

इसमें जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जार्ज मसीह की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है. कोर्ट ने कहा कि कुछ फैसले ऐसे होते हैं जिन पर रोक लगाना जरूरी है. यही नहीं हाई कोर्ट के जिस जज ने ऐसी टिप्पणी की है उसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई न करने दी जाए. इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.

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