बॉम्बे हाईकोर्ट ने पॉस्को केस में तीन साल से जेल में बंद एक 22 साल के युवक को रिहा कर दिया. अदालत ने युवक को रिहा करते हुए कहा कि 15 साल की लड़की अपने किए गए कामों के रिजल्ट को समझने के लिए पूरी तरह से फिट थी. वह अपनी इच्छा के साथ उसके साथ भागी थी. सहमति के साथ लड़की ने युवक के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे. अदालत ने कहा था कि लड़की को जानकारी थी कि वह क्या कर रही है और सब कुछ जानते हुए भी वह युवक के साथ भागी थी.
ये है पूरा मामला
दरअसल, जस्टिस मिलिंद जाधव की पीठ एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो तीन साल से अधिक समय तक जेल में बंद है. पूरा मामला शुरू होता है 2020 से, 15 साल की एक लड़की आठ अगस्त को अपने घर से निकली और बाद में वापस ही नहीं आई. लड़की के पिता को शक हुआ कि वह पीड़ित युवक के साथ ही होगी. लड़की के पिता उस युवक के घर गए तो वहां कोई नहीं था.
कुछ दिन में लड़की ने अपने पिता को फोन किया और कहा कि वह उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक गांव में रह रही है. करीब 10 माह बाद, लड़की ने दोबारा अपने पिता को कॉल किया और कहा कि वह गर्भवती है और जिस लड़के के साथ वह भागी थी, उसने शादी के लिए मना कर दिया है. लड़की ने पिता से अनुरोध किया कि वह उसे दोबारा अपने पास बुला लें. खास बात है कि लड़की 2019 से उस युवक को जानती थी. लड़की ने कहा कि माता-पिता नहीं चाहते थे. बावजूद इसके वह नियमित रूप से लड़के से मिलती थी.
लड़की ने कहा कि युवक ने उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए कहा था. इसके बाद, लॉकडाउन लग गया. लॉकडाउन में युवक अपने पैतृक गांव चला गया. बाद में लड़का युवती को लिवाने के लिए नवी मुंबई आया. दोनों फिर यहां से दिल्ली गए और फिर वहां से यूपी. इस दौरान, युवती गर्भवती हो गई.
अदालत ने दिया ये तर्क
लड़की के वकील ने कहा कि लड़की नाबालिग थी. इसलिए उसकी सहमति का मतलब नहीं है. पीठ ने इसका जवाब दिया कि दोनों के बीच प्रेम था. उन्होंने इसी वजह से संबंध भी बनाएं. लड़की अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई. अदालत ने कहा कि जब लड़की ने पहले कॉल करके बताया था कि वह यूपी के एक गांव में है तो उसके परिजनों ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की.