भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर सांसद कंगना रनौत के बयान से कन्नी काट ली है. हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना रनौत ने अपने लोकसभा क्षेत्र में पत्रकारों से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वापस लिए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि किसानों को खुद इसके लिए मांग करना चाहिए.
मीडिया से उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यह विवादास्पद होगा. मुझे लगता है कि कानूनों को वापस लागू किया जाना चाहिए. किसानों को इसकी मांग करना चाहिए. किसान देश के विकास के स्तंभ हैं. मैं उनसे अपील करती हूं कि अपने भले के लिए कानूनों को दोबारा मांगे.
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रनौत के बयान से भाजपा ने बनाई दूरी
सांसद रनौत के बयानों पर भाजपा ने कहा कि उनकी टिप्पणी पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं. पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि वह कंगना रनौत का व्यक्तिगत बयान है. रनौत को भाजपा की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकार नहीं दिए हैं. कृषि बिलों के बारे में भाजपा का ऐसा कोई दृष्टिकोण नहीं हैं.
कृषि कानूनों पर पहले भी विवादित बयान दे चुकी हैं रनौत
बता दें, 25 अगस्त 2024 को कंगना रनौत ने कहा था कि किसान आंदोलन के जरिए भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश की गई थी. बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, वह भारत में होते हुए भी देर नहीं लगती. कंगना ने आरोप लगाया था कि किसान आंदोलन पर लाशें लटकी हुई थीं. वहां रेप हो रहे थे. वहां रेप हो रहे थे. किसानों ने इसके लिए लंबी प्लानिंग की थी. कंगना के बयान से विवाद हो गया, जिसके बाद भाजपा का बयान सामने आया. भाजपा ने कहा कि यह पार्टी की राय नहीं है. पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न अनुमति दी गई है और न ही उन्हें बयान देने के लिए पार्टी ने अधिकृत किया है. भाजपा ने कंगना को निर्देश दिए हैं कि वह भविष्य में ऐसे बयान न दें.