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मदनी के बयान पर हंगामा Photograph: (X/bjp/Ians)
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के बयान को लेकर बीजेपी ने करार जवाब दिया है. भोपाल में दिए गए मदनी के बयान पर बीजेपी ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे देश को बांटने वाला और भड़काऊ बताया है. बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मौलाना मदनी ने जिस तरह “जिहाद” शब्द का प्रयोग किया, वह न सिर्फ अनुचित है बल्कि समाज में विभाजन पैदा करने वाला भी है.
पात्रा ने कहा कि जिहाद शब्द का इतिहास हिंसा और आतंक से जुड़ा रहा है और दुनिया के कई हिस्सों में इसी नाम पर आतंकवाद फैलाया गया है. ऐसे में भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस शब्द को सकारात्मक या सामान्य संदर्भ में प्रस्तुत करना स्वीकार्य नहीं हो सकता.
जिहाद के नाम पर हिंसा ही हिंसा
संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि मदनी का भाषण ऐसे समय में आया है जब देश में सामाजिक सद्भाव की जरूरत पहले से ज्यादा है, लेकिन इस तरह की शब्दावली तनाव बढ़ाने का काम करती है. उन्होंने कहा कि जिहाद के नाम पर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अत्याचार और आतंक की घटनाएं सामने आई हैं.
ऐसे बयान समाज को बांटते हैं
पात्रा ने यह भी कहा कि मौलाना मदनी की टिप्पणी भारत के सामाजिक ढांचे और साम्प्रदायिक सद्भाव के विरुद्ध जाती है. “जहां भी अत्याचार हो, वहां जिहाद होना चाहिए”. मदनी द्वारा दिए गए इस बयान को लेकर पात्रा ने कहा कि ऐसे विचार समाज को दो हिस्सों में बांटते हैं और हिंसा को वैचारिक रूप से उचित ठहराने की कोशिश करते हैं.
बीजेपी ने स्पष्ट कहा कि ऐसे बयान देने वाले नेताओं और धार्मिक प्रमुखों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और ऐसी भाषा से बचना चाहिए जो देश के माहौल को खराब करे. पार्टी ने स्पष्ट कहा कि भारत में किसी भी रूप में जिहाद या हिंसक विचारधारा को वैधता नहीं दी जा सकती.
मौलाना मदनी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को सुप्रीम कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।
— Sambit Patra (@sambitswaraj) November 29, 2025
मौलाना मदनी के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान में लेकर इसकी सुनवाई करनी चाहिए। pic.twitter.com/6S358LW74X
मदनी ने क्या कहा था?
बता दें कि मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और इस्लामिक स्कॉलर मौलाना महमूद मदनी ने तीखे शब्दों में कहा कि कुछ लोग इस्लाम के पवित्र सिद्धांतों को गलत अर्थों से जोड़कर पूरे समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंचा रहे हैं. मदनी ने कहा कि जिहाद जैसे धार्मिक शब्द, जिनका मूल अर्थ संघर्ष, प्रयास और अच्छाई के लिए मेहनत करना है, उन्हें आजकल गलत और हिंसक संदर्भों में पेश किया जा रहा है.
लगाए कई गंभीर आरोप
मदनी ने आरोप लगाया कि “जिहाद, इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने इस्लाम के पवित्र शब्दों को दुरुपयोग और हिंसा से जोड़कर बदनाम कर दिया है. ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, ‘एजुकेशन जिहाद’, ‘स्पिट जिहाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके मुसलमानों को अपमानित किया जाता है और उनके धर्म को नीचा दिखाया जाता है.”
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