चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने बताया कि भारत में अब तक करीब सभी प्रधानमंत्रियों-चाहे वह पंडित नेहरू रहे हों, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिंह राव या डॉ.मनमोहन सिंह-सभी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अपने एकतरफा निर्णय से किया.
सूत्रों के अनुसार, 2023 से पहले तक कोई कानूनी ढांचा नहीं था, जिससे ये प्रक्रिया पूरी तरह कार्यपालिका की इच्छा के तहत होती थी. लेकिन अब 2023 में संसद की ओर से अनुच्छेद 325 के तहत पारित एक कानून में CEC और ECs की नियुक्ति की जा रही है.
कैसी है प्रक्रिया?
सूत्रों के अनुसार, पहली बार नियुक्तियों को लेकर एक व्यवस्थित और कानून सम्मत प्रक्रिया अपनाई गई है, जिसमें बहुमत आधारित चयन समिति की अवधारणा है. सलाह और विचार-विमर्श शामिल हैं.सबसे महत्वपूर्ण, पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है. उन्होंने कहा, "अब जो नियुक्ति प्रक्रिया है, वह पहले की तुलना में कहीं अधिक लोकतांत्रिक, संस्थागत और जवाबदेह है."
CJI की नियुक्तियों को लेकर भी टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति को लेकर भी सूत्रों ने साफ किया कि वर्षों तक ये प्रक्रिया स्वयं CJI की ओर से की जाती रही. किसी प्रकार की अस्थायी समिति या बहुमत आधारित चयन प्रणाली का प्रयोग उस समय नहीं होता था. आज भी CJI की नियुक्ति प्रक्रिया पर पूरी तरह कानून आधारित रूप नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग की नियुक्ति के मामले में अब स्पष्ट कानूनी प्रावधान मौजूद हैं. CEC-ECs की नियुक्ति पर ECI सूत्रों का बड़ा खुलासा: "पहले PM की मर्ज़ी चलती थी, अब कानून से पारदर्शिता आई है"
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लेख में दावा किया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में पांच चरणों वाली एक सुनियोजित प्रक्रिया के जरिए चुनावी धांधली की गई. राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत थी. जिसके चलते वोटिंग प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया.कांग्रेस नेता ने अपनी चिंता सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रखी. उन्होंने आगे कहा कि इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह की रणनीति अपनाई जा सकती है.