'साइंटिफिक प्लान के बगैर माइनिंग नहीं होगी', न्यूज नेशन से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बोले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव

'साइंटिफिक प्लान के बगैर माइनिंग नहीं होगी', न्यूज नेशन से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बोले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव

'साइंटिफिक प्लान के बगैर माइनिंग नहीं होगी', न्यूज नेशन से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बोले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव

author-image
Yashodhan Sharma
New Update
Bhupendra Yadav

Bhupendra Yadav Photograph: (NN)

Bhupendra Yadav Exclusive: अरावली पर हर जिले का साइंटिफिक प्लान बनेगा, साइंटिफिक प्लान के बगैर कोई भी माइनिंग नहीं होगी. ये बात न्यूज नेशन से एक्सलूसिव बातचीत में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कही.केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इसके अलावा भी अरावली पर अवैध खनन को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. 

Advertisment

चारों राज्य समान परिभाषा एडॉप्ट करें

भूपेंद्र यादव ने बताया पहले बहुत अवैध खनन होता था.. ये पहाड़ी क्षेत्र है या नहीं. अरावली पहाड़ जो प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जिसके तहत नगर, वन सबकुछ है. उसमें एक समान परिभाषा चारों राज्य एडॉप्ट करें. इसके तहत हरियाणा में जो एडॉप्टेशन था वह यह था कि चट्टान की उम्र कितनी पुरानी है. उसके आधार पर था.  गुजरात की कोई परिभाषा नहीं थी.  राजस्थान की अपनी थी. और दिल्ली में माइनिंग नहीं होती थी. इसके बाद भी कहा गया कि एक समान परिभाषा इसके अनुरूप तैयार की जाए. 

इको सेंसिटिव जोन है उस पूरे क्षेत्र में 1 किलोमीटर तक माइनिंग बैन

ऐसे में कोर्ट ने एक कमिटी का गठन किया. रिपोर्ट भी कमेटी के आधार पर की गई. कोर्ट ने परिभाषा नहीं की डायरेक्शन दिया. इसके तहत अरावली में जितने में भी रिजर्व फॉरेस्ट हैं. 4 टाइगर कॉरिडोर, 20 वाइल्डलाइफ  सेंचुरी है. इको सेंसिटिव जोन है उस पूरे क्षेत्र में 1 किलोमीटर तक का क्षेत्र माइनिंग के लिए बैन है. दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम में माइनिंग बैन है. 

जहां से वॉटर रिजर्व की संभावना है वह भी बैन है. डार्क जोन बैन है. फिर अरावली में रामसर साइट्स हैं. हमारी सरकार की समय में 24 से 94 साइट्स में. अरावली में कुछ महत्वपूर्ण जिले हैं. जैसे अलवर में सिलीसेट, दिल्ली में असौला भाटी, हरियाणा में सुल्तानपुर, उदयपुर अपने आप में लेक सिटी है. इसके 500 मीटर तक माइनिंग बैन है.

 साइंटिफिक मैनेजमेंट प्लानिंग के बिना नहीं होगी माइनिंग

बड़ा एरिया उन्होंने बैन किया है. बचे हुए एरिया में माइनिंग हो लेकिन सस्टेनेबिलिटी के आधार पर हो उनके रेस्ट्रोरेशन के आधार पर हो. जब तक किसी जिले का साइंटिफिक मैनेजमेंट प्लान नहीं बनेगा तब तक माइनिंग नहीं की जा सकेगी. ऐसे में किसी भी तरह की नुकसान नहीं होगा. 

100 मीटर के प्लान के तहत क्या ज्यादा एरिया माइनिंग में आएगा?

भूपेंद्र यादव ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ज्यादातर क्षेत्र माइनिंग में आएगा. क्योंकि पूरे अरावली क्षेत्र में 60 फीसदी कृषि क्षेत्र है जबकि 20 फीसदी फॉरेस्ट प्रोटेक्टेड एरिया. 7 से 8 फीसदी लोग बसे हुए हैं. ऐसे में 90 फीसदी क्षेत्र अरावली को ऐसे ही बाहर हो जाता है. लिहाजा किसी भी तरह की माइनिंग नहीं होगी. 

क्या माइनिंग जरूरी है?

लोगों के घरों में संगमरमर पत्थर कैसे लगते हैं. अरावली में तांबे से लेकर यूरेनियम की माइनिंग हो सकती है. ऐसे में क्या करेंगे. .19 फीसदी ही माइनिंग होगी. मुख्य झगड़ा अवैध खनन का है. ऐसे में जब जगह चिन्हिंत होगी तब ही अवैध खनन पर रोक लगाई जा सकेगी.

अरावली पहाड़ी में 100 और 500 मीटर को लेकर प्रावधान है क्या वो जुड़ेगा

हां जोड़ा जाएगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा माइनिंग सब जगह बैन है. पर्वत श्रंखला की तो पहचान की गई लेकिन माइनिंग साइंटिफिक प्लानिंग के बगैर नहीं की जा सकेगी. 

Advertisment