अब भारत में बनेगी बुलेट ट्रेन, सितंबर से होगी शुरुआत

भारत में रेलवे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है. भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), जो एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है, जो भारत में बुलेट ट्रेन बनाने जा रही है.

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Ravi Prashant
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बुलेट ट्रेन Photograph: (Meta AI)

भारत में रेलवे तकनीक के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है. भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML), जो एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है, सितंबर 2025 से बेंगलुरु स्थित अपने संयंत्र में देश की पहली बुलेट ट्रेन का प्रोटोटाइप बनाना शुरू करेगी. यह वही प्लांट है जहां वर्तमान में वंदे भारत स्लीपर ट्रेनसेट्स का निर्माण किया जा रहा है. अब यही प्लांट भारत के हाई-स्पीड रेल मिशन में भी अहम भूमिका निभाएगा.

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2026 तक ट्रायल हो जाएगा पहला ट्रेनसेट

BEML के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शंतनु रॉय ने Financial Express को जानकारी दी कि बुलेट ट्रेन का पहला ट्रेनसेट दिसंबर 2026 तक ट्रायल रन के लिए तैयार हो जाएगा. कंपनी को दो हाई-स्पीड ट्रेनसेट्स डिजाइन करने, तैयार करने और कमीशनिंग करने का जिम्मा सौंपा गया है. 

क्रिटिकल डिजाइन पर लगी है टीम

उन्होंने बताया, “इस समय डिज़ाइन का कार्य चल रहा है. अगले कुछ महीनों में क्रिटिकल डिज़ाइन पूरा हो जाएगा और फिर सितंबर से मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी जाएगी. इस प्रोजेक्ट में पैसेंजर सेफ्टी, शीट मेटल वर्क, वेल्डिंग, सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम (TCMS) जैसे कई नए तकनीकी स्तर पर काम होगा. ”

कितनी होगी ऑपरेशनल स्पीड? 

पिछले साल अक्टूबर में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) ने BEML को दो पूरी तरह देसी हाई-स्पीड ट्रेनसेट्स विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. हर ट्रेनसेट में 8 कोच होंगे और ये अधिकतम 280 किमी/घंटे की स्पीड से चलने में सक्षम होंगे. हालांकि, ऑपरेशनल स्पीड 249 किमी/घंटे रखी जाएगी.

प्रोजेक्ट पर कितने रुपये होंगे खर्च? 

इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब ₹866.87 करोड़ बताई जा रही है, यानी प्रति कोच लागत लगभग ₹27.86 करोड़ होगी. यह कीमत जापान की शिंकानसेन बुलेट ट्रेनों की तुलना में काफी कम है, जिनकी प्रति कोच लागत ₹46–48 करोड़ के बीच होती है.

ग्लोबल मार्केट से होगा सस्ता

BEML ने दावा किया है कि उसका हाई-स्पीड ट्रेनसेट ग्लोबल कंपनियों की तुलना में ज्यादा किफायती होगा, क्योंकि इसमें अधिकतर सामग्री और कलपुर्जे देश में ही बनाए जा रहे हैं जिनमें स्टेनलेस स्टील भी शामिल है.

रॉय ने बताया कि कंपनी की योजना है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक पहला कोच तैयार कर लिया जाए, जिसके बाद उसका व्यापक परीक्षण शुरू होगा.

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