Balochistan Minerals: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ऐसा दुर्लभ खजाना है, जिस पर अब अमेरिका की नजर है. वह बाहर से चीन को रिप्लेस कर खुद को स्थापित करने की तैयारी कर रहा है. भारत के लिहाज से यह एरिया बेहद अहम है. बलूचिस्तान में पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ आए दिन विरोध प्रदर्शन होते रहते हैं. पाकिस्तान विरोध में बलूचिस्तान में अक्सर आरपार की स्थिति बनी रहती है. सबसे ज्यादा विरोध बलूचिस्तान में चीन की मौजूदगी को लेकर है. ऐसे में अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होता है तो भारत भी इस मामले में अपनी साझेदारी कर सकता है. आखिर क्या है पूरा मामला चलिए विस्तार से जानते हैं .
कुछ देश अपनी ताकत दिखाने में बहुत माहिर होते हैं. जैसे कि अमेरिका चाहे वह अर्थव्यवस्था हो राजनीतिक हो या आतंकवाद के बारे में दुनिया की राय अमेरिका जानता है कि कैसे अपने सिद्धांतों और जरूरतों को एक साथ लेकर चलना है. इससे कई बार अजीब स्थितियां भी पैदा हो जाती हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है पाकिस्तान के साथ उसका रिश्ता. एक तरफ अमेरिका की सरकारें हमेशा पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों के साथ मिले होने का आरोप लगाती रहती हैं. अमेरिका खुफिया विभाग ने कई बार बताया है कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई जैसे संगठनों का तालिबान और लश्कर तयबा जैसे आतंकी समूहों से संबंध है. यह समूह अफगानिस्तान और भारत में हमले करते रहते हैं.
दूसरी तरफ अमेरिका पाकिस्तान को अपना साथी मानता है. जब उसे अपने फायदे के लिए उसकी जरूरत होती है चाहे अफगानिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल सप्लाई पहुंचाने के लिए करना हो या अब पाकिस्तान के उन खनिजों पर नजर रखना हो जो ग्रीन टेक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है. अमेरिका ने हमेशा अपने मूल्यों को अलग रखा है. हाल ही में अमेरिका अधिकारी मेयर का पाकिस्तान दौरा अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बड़ा बदलाव है.