Explainer: अरावली केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला क्यों पलटा, जानें सिंगल और डबल बेंच में क्या अंतर है?

Aravali case: अरावली पहाड़ियां राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में फैली हुई हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच लंबे समय से विवाद है कि 'अरावली पहाड़ियां' की परिभाषा क्या हो?

Aravali case: अरावली पहाड़ियां राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में फैली हुई हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच लंबे समय से विवाद है कि 'अरावली पहाड़ियां' की परिभाषा क्या हो?

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Amit Kasana
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सुप्रीम कोर्ट

Why did Supreme Court reverse Aravali case decision: भारत में सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था होती है. ये कोर्ट अकसर पर्यावरण, संवैधानिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने निर्णय देती है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का 20 नवंबर 2025 को अरावली को लेकर आया फैसला चर्चा में रहा. जिसे 29 दिसंबर 2025 को देश के चीफ जस्टिस के नेतृत्व में दूसरी बेंच ने पलट दिया. अब यहां एक सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट में कितनी बेंच होती हैं, किस बेंच के पास अधिक अधिकार होते हैं. 

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आइए, इस खबर में सुप्रीम कोर्ट की संरचना, जजों की नियुक्ति और रोस्टर के बारे में जानते हैं. इससे पहले थोड़ा अरावली केस का बैकग्राउंड जान लीजिए. दरअसल, अरावली पहाड़ियां राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में फैली हुई हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच लंबे समय से विवाद है कि 'अरावली पहाड़ियां' की परिभाषा क्या हो, क्या 100 मीटर ऊंचाई वाली सभी संरचनाएं अरावली में शामिल हों या इससे ज्यादा सख्त मापदंड लगें?

अरावली पर क्या है विवाद, किस बेंच ने फैसले पर रोक लगाई?

20 नवंबर 2025 को इस केस में तत्तकालीन चीफ जस्टिस भूषण आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अनारिया की बेंच ने एक निर्णय दिया. जिसमें कहा गया कि 100 मीटर से ऊंची सभी संरचनाएं अरावली मानी जाएंगी और इन पर खनन या निर्माण जैसी गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी. अब 29 दिसंबर को कोर्ट की वैकेशन बेंच ने जिसमें चीफ जस्टिस सूर्या कांत, जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह शामिल है ने इस केस में स्वत: संज्ञान लिया है और नवंबर के फैसले पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि फैसले की गलत व्याख्या हो रही है और एक नई कमेटी बनाकर सर्वे कराना जरूरी है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी. बता दें कि ये स्टे इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पुराने फैसले के प्रभाव को अस्थायी रूप से रोका गया है और आगे वैज्ञानिक अध्ययन पर जोर दिया गया है.

सिंगल जज बेंच और डबल/ट्रिपल जज बेंच में क्या अंतर है?

जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में मामले की जटिलता के आधार पर बेंचें बनाई जाती हैं. ये बेंचें जजों की संख्या के आधार पर बांटी जाती हैं, और इनका गठन देश के चीफ जस्टिस करते हैं. फिलहाल कोर्ट में इन बेंचों की कोई फिक्स्ड संख्या तो नहीं है, लेकिन आमतौर पर कोर्ट में सिंगल जज बेंच, डबल या ट्रिपल जज बेंच (डिवीजन बेंच) होती है. अब अंतर जानें तो सुप्रीम कोर्ट में सिंगल बेंच का बहुत कम इस्तेमाल होता है ये बेंच जमानत याचिकाएं या प्रक्रियागत मुद्दे सुनने के लिए होती है. अधिवक्ता सुभाष तंवर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सबसे आम डबल  या ट्रिपल बेंच होती है. ये बेंचें नियमित अपील, रिव्यू और सामान्य मामलों को सुनती है. ये बेंच क्राइम, सिविल, पर्यावरण या अन्य मुद्दों पर सुनवाई करती हैं. इसके अलावा अगर किसी मुद्दे पर सुनवाई कर रहे दो जज असहमत हों तो तीसरे जज को जोड़ा जाता है.

 

संवैधानिक बेंच (5 या ज्यादा जज) क्या होती है?

कानून के जानकारों के अनुसार सिंगल, डबल या ट्रिपल बेंच के अलावा सुप्रीम कोर्ट में कांस्टीट्यूशन बेंच (5 या ज्यादा जज) भी होती है. ये बेंच जरूरत के मुताबिक चीफ जस्टिस द्वारा बनाई जाती हैं जो  संवैधानिक व्याख्या, मौलिक अधिकार या कानूनी विरोधाभास जैसे जटिल मसलों को सुलझाने और सुनने का काम करती हैं. जानकारी के अनुसार कांस्टीट्यूशन बेंचों में  न्यूनतम 5 जज या जरूरत के अनुसार जजों की सुख्या 7, 9 या 11 तक हो सकती है. 

सुप्रीम कोर्ट में कितनी बेंचें काम करती हैं और कितने जज हैं?

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में हर दिन 10 से 15 बेंचें काम करती हैं. लेकिन ये फ्लेक्सिबल होती हैं. वर्तमान में चीफ जस्टिस समेत सुप्रीम कोर्ट में कुल 33 जज हैं. बता दें सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति 'कोलेजियम सिस्टम' से होती है ये सिस्टम 1993 से चला आ रहा है. कोलेजियम में चीफ जस्टिस और चार सबसे सीनियर जज होते हैं. ये कोलेजियम हाई कोर्ट के जज या वरिष्ठ वकीलों के नाम सुप्रीम कोर्ट के लिए केंद्र सरकार को भेजता है. फिर राष्ट्रपति औपचारिक रूप से इन जजों की नियुक्ति करते हैं. कोर्ट में  चीफ जस्टिस बेंच या रोस्टर बनाते हैं. ये रोस्टर हर हफ्ते या महीने में जारी किया जाता है.

FAQ

Q. अरावली केस क्या है और इसमें क्या विवाद है?
A. अरावली केस पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है, जहां राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में फैली अरावली पहाड़ियों की परिभाषा पर विवाद है. 

Q. सुप्रीम कोर्ट का अरावली केस में 20 नवंबर 2025 का फैसला क्या था?
A. 20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला दिया कि 100 मीटर से ऊंची सभी संरचनाएं अरावली मानी जाएंगी. इन पर खनन या निर्माण जैसी गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी. 

Q. सुप्रीम कोर्ट ने अरावली फैसले पर क्यों रोक लगाई?
A. 29 दिसंबर 2025 को वैकेशन बेंच ने स्वत: संज्ञान लेकर नवंबर के फैसले पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि फैसले की गलत व्याख्या हो रही है, इसलिए एक नई कमिटी बनाकर वैज्ञानिक सर्वे जरूरी है.

Q. सुप्रीम कोर्ट में सिंगल और डबल/ट्रिपल बेंच में क्या अंतर है?
A. सिंगल जज बेंच जमानत याचिकाएं या प्रक्रियागत मुद्दों के लिए होती है. डबल या ट्रिपल जज बेंच (डिवीजन बेंच) नियमित अपील, रिव्यू, क्रिमिनल, सिविल और पर्यावरण जैसे मामलों की सुनवाई करती है.

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