Operation Sindoor: मार्शल के इस जवाब ने सबका दिल जीत​ लिया, रामचरितमानस की चौपाइयों से कही बड़ी बात

Operation Sindoor: न्यूज नेशन के पत्रकार मधुरेंद्र कुमार ने पूछा था सवाल, एयर मार्शल ए.के.भारती इस सवाल से काफी प्रसन्न दिखे. पत्रकार का नाम और एजेंसी पूछी और सवाल के लिए सराहा. 

Operation Sindoor: न्यूज नेशन के पत्रकार मधुरेंद्र कुमार ने पूछा था सवाल, एयर मार्शल ए.के.भारती इस सवाल से काफी प्रसन्न दिखे. पत्रकार का नाम और एजेंसी पूछी और सवाल के लिए सराहा. 

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Mohit Saxena
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एयर मार्शल ए.के.भारती (social media)

Operation Sindoor: भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) की सोमवार दोपहर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. पहले दौर में तीनों प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी शाखाओं के बारे में जानकारी दी और फिर पहला सवाल न्यूज नेशन के पत्रकार मधुरेंद्र कुमार ने पूछा. उन्होंने कहा, प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू करने से पहले सेना ने एक वीडियो चलाया जिसमें राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां बैकग्राउंड में थीं. वीडियो में शिव तांडव स्तोत्रम था. इसके जरिए आप दुश्मन को क्या संदेश देना  चाह रहे थे?

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तब एयर मार्शल ए.के.भारती इस सवाल से काफी प्रसन्न दिखे. उन्होंने पत्रकार का नाम और एजेंसी पूछी ताकि इसे नोट किया जा सके. इस सवाल को उन्होंने सराहा भी. पत्रकार की ओर से बताई गई पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध महाकाव्य कविता "रश्मिरथी" से थीं, खास तौर पर 'कृष्ण की चेतावनी' खंड से. यह उसकी लाइनें थीं. 

दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला.

जब नाश मनुज पर छाता है, पहले
विवेक मर जाता है.
हरि ने भीषण हुँकार किया, अपना
स्वरूप विस्तार किया.
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान
कुपित हो कर बोले.
जंजीर बढ़ा अब साध मुझे, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे.

इस संदर्भ में जवाब देते हुए ए.के. भारती ने रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से जवाब दिया. बिना इधर-उधर देखे, उन्होंने धाराप्रवाह रूप से निम्नलिखित संदेश सुनाया:

बिनय न मानत जलधि जड़
गए तीनि दिन बीति.
बोले राम सकोप तब
भय बिनु होइ न प्रीति.

यह पक्तियां तब की है, जब भगवान राम, समुद्र देवता से लंका जाने का रास्ता देने की प्रतीक्षा कर रहे थे, तीन दिन बाद उनका धैर्य जवाब दे गया और वे क्रोधित हो गए. उन्होंने घोषणा की कि भय के बिना प्रेम नहीं होता और उन्होंने अपना धनुष उठाया. तभी समुद्र देवता प्रकट हुए और मदद के लिए हाथ बढ़ाया. ए.के. भारती के सहज और भावनात्मक शब्दों को सुनने के बाद, पत्रकार तालियां बजाने से खुद को रोक नहीं पाए. यहां तक कि नौसेना के वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद, जो एयर मार्शल भारती के बगल में बैठे थे, एक सौम्य मुस्कान के साथ मुस्कुराए.

 

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