Anokhi Kahani: कहानी ऐसे डॉक्टर की, जिन्होंने कैमिस्ट्री से मास्टर्स की लेकिन 26 साल से 12वीं में हो रहे FAIL, पंचायत चुनाव भी जीता

Anokhi Kahani: आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो सुनकर आप एक बार सोचने को मजबूर हो जाएंगे. आखिर ये कहानी क्या है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर…

Anokhi Kahani: आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो सुनकर आप एक बार सोचने को मजबूर हो जाएंगे. आखिर ये कहानी क्या है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर…

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Jalaj Kumar Mishra
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Anokhi Kahani of Neel Desai of Gujarat Surat news in hindi

Anokhi Kahani

Anokhi Kahani: आपने अकसर सुना होगा कि जो लोग पढ़ाई में अच्छे नहीं है. वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. गुजरात के रहने वाले नील देसाई ने इस भ्रम को तोड़ दिया है. लेकिन कैसे आइये जानते हैं. नील देसाई सूरत के रहने वाले हैं. वे 12वीं की परीक्षा में 26 बार फेल हो चुके हैं. बावजूद इसके उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली. बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के देसाई ने पंचायत चुनाव जीत लिया है. 80 प्रतिशत वोटों के साथ वे सरपंच बन गए हैं. नील देसाई अब 2026 में 27वीं बार 12वीं परीक्षा देने की तैयारी कर रहे हैं.

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Anokhi Kahani: पढ़ें ये अनोखी कहानी

नील 52 साल के हैं. सन् 1989 में नील ने 10वीं की परीक्षा पास की. उन्हें इंजीनियर बनना था, इसिलए उन्होंने साइंस स्ट्रीम चुनी. 1991 में उन्होंने 12वीं की परीक्षा दी लेकिन वे एग्जाम में फेल हो गए हैं. उन्होंने एक साल बाद फिर से 12वीं का एग्जाम दिया लेकिन वे फिर से फेल हो गए. उन्होंने लेकिन हार नहीं मानी. 10वीं के रिजल्ट के आधार पर उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स में उन्होंने एडमिशन लिया. इसके बाद 1996 में उन्होंने डिप्लोमा पूरा किया. डिप्लोमा की डिग्री हासिल करते ही उन्होंने अपना इलेक्ट्रिकल्स का बिजनेस शुरू कर दिया. हालांकि, पटेल ने इस दौरान भी हार नहीं मानी और वे हर साल 12वीं की परीक्षा दे रहे थे. बावजूद इसके उन्हें सफलता नहीं मिल पाई. नील ने लेकिन हार नहीं मानी.

Anokhi Kahani: ऐसे किया ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी

धीरे-धीरे समय बीतता गया और साल 2005 आ गया. 2005 में गुजरात सरकार ने शिक्षा के नियमों में बदलाव किए, इन्ही में से एक बदलाव था कि डिप्लोमा होल्डर्स को डायरेक्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन मिल सकता है. नील ने सरकार के इस नियम का फायदा उठाया और उन्होंने कैमिस्ट्री से बीएससी और एमएससी पूरा कर लिया. इसके बाद उन्होंने 2018 में पीएचडी में एडमिशन लिया और उसे भी पूरा कर लिया. 

 

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