VP Election: विपक्ष के उम्मीदवार पर अमित शाह ने साधा निशाना, कहा-वामपंथी नक्सलियों के समर्थक को बनाया कैंडिडेट

उपराष्ट्रपति पद के लिए इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बी सुरदर्शन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साधा निशाना. कहा- सलवा जुडूम का जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो सकता था

उपराष्ट्रपति पद के लिए इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बी सुरदर्शन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साधा निशाना. कहा- सलवा जुडूम का जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो सकता था

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Mohit Saxena
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Amit Shah

amit shah (social media)

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर दोनों संगठनों ने अपने-अपने उम्मीदवार तय कर लिए हैं. एनडीए की ओर से सीपी राधाकृष्णन और इंडी गठबंधन की ओर से बी सुदर्शन रेड्डी का नाम सामने आया है. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इं​डी गठबंधन के उम्मीदवार सुरदर्शन रेड्डी को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि वामपंथी नक्सलियों के समर्थक को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया. 

वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो सकता था

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उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि इंडी गठबंधन के इस कदम से केरल में कांग्रेस की जीत की जो  बची कुची संभावना थी वो भी खत्म हो गई. क्योंकि विपक्ष के प्रत्याशी सुर्दशन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद को सहायता देने के लिए सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था. अगर जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो सकता था. यही सज्जन हैं, जिन्होंने विचारधारा से प्ररित होकर सलवा जूडुम का जजमेंट दिया था.

सलवा जुडूम का मामला क्या था? 

आपको बता दें कि दिसंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रेड्डी ने फैसला सुनाया था कि माओवादी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासी युवकों को खास पुलिस अधिकारी के रूप में उपयोग करना, चाहे उन्हें कोया कमांडो कहा जाए, सलवा जुडूम कहा जाए या किसी और नाम से जाना जाए, गैरकानूनी और असांविधानिक है. उन्होंने यह आदेश दिया था कि ऐसे आदिवासी युवकों को तुरंत निरस्त्र किया जाए.

क्या वे यह चाहते हैं कि पीएम जेल से सरकार चलाएं?

इस दौरान उन्होंने संसद में हाल ही में पेश किए भ्रष्टाचार विरोधी तीन विधेयकों का जिक्र किया. उन्होंने इन विधेयकों को लेकर कहा कि इस मामले में अब और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है. मैंने संसद में देश की जनता से पूछा है कि क्या वे यह चाहते हैं कि पीएम जेल से सरकार चलाएं? यह कैसी बहस है? यह नैतिकता   का सवाल है. अब वे पूछ रहे हैं कि इसे पहले संविधान में क्यो शामिल नहीं किया गया. जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया तब यह बिल्कुल अनुमान नहीं लगाया गया था कि जेल जा चुके लोग निर्वाचित पदों पर बने रहेंगे. 

amit shah naxal
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