भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ते हुए न्यूक्लियर पावर सबमरीन INS अरिघात से K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में विशाखापत्तनम के पास किया गया. हालांकि सरकार की ओर से इस परीक्षण की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा है.
K-4: भारतीय न्यूक्लियर डेटरेंस की नई ताकत
K-4 एक सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसकी रेंज 3500 किलोमीटर है. यह मिसाइल 10 मीटर लंबी है और इसका वजन 20 टन है. यह 1 टन तक के पेलोड को ले जाने में सक्षम है. इससे पहले, भारतीय नौसेना की बैलेस्टिक मिसाइल कैपेबिलिटी K-15 तक सीमित थी, जिसकी रेंज 750-1000 किलोमीटर है. K-4 के शामिल होने से भारतीय न्यूक्लियर डेटेरेंस की क्षमता में कई गुना इजाफा हुआ है.
K-4 की रेंज में बीजिंग और इस्लामाबाद
K-4 की रेंज को देखते हुए यह मिसाइल चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए रणनीतिक खतरा बन सकती है. कोलकाता से बीजिंग की एरियल दूरी लगभग 3277 किलोमीटर है. इसका मतलब यह है कि बंगाल की खाड़ी से इस मिसाइल को लॉन्च करके चीन के मुख्य इलाकों, दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्र तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. वहीं मुंबई से इस्लामाबाद की दूरी 1600 किलोमीटर है. यानी अरब सागर से लॉन्च होने पर यह मिसाइल पाकिस्तान की राजधानी और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों को आसानी से निशाना बना सकती है.
INS अरिघात: भारतीय नौसेना की अजेय ताकत
INS अरिघात भारतीय नौसेना की दूसरी बैलेस्टिक मिसाइल न्यूक्लियर पावर सबमरीन है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 50 दिनों से अधिक समय तक पानी के अंदर रह सकती है, जिससे इसे चीनी जासूसी उपकरणों से बचने में मदद मिलती है. यह सबमरीन न केवल K-4 जैसे बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकती है, बल्कि इसमें परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के वॉरहेड लगाने की क्षमता है. इससे पहले, INS अरिहंत को नौसेना में शामिल किया गया था, जो K-15 और निर्भया जैसी मिसाइलें लॉन्च कर सकती है.
भारतीय नौसेना का ATV प्रोजेक्ट
INS अरिघात और अरिहंत को भारत के ATV यानी एडवांस टेक्नोलॉजी वैसल प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया गया है. इस परियोजना के तहत चार न्यूक्लियर पावर्ड बैलेस्टिक मिसाइल सबमरीन बनाने की योजना है. INS अरिहंत और अरिघात के बाद अब S-3 और S-4 सबमरीन पर काम चल रहा है. इनका निर्माण पूरा होने के बाद भारतीय नौसेना की न्यूक्लियर ताकत और भी अधिक प्रभावी हो जाएगी. साथ हीं इससे भारत का न्यूक्लियर डेटेरेंस भी दुनिया में अभूतपूर्व होगा. भारत की यह रणनीतिक उपलब्धि न केवल देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह चीन और पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है. K-4 और INS अरिघात की क्षमताएं भारतीय नौसेना को गहरे समुद्रों में अजेय बना देगी.