अजित डोभाल ने SCO समिट को इसलिए बीच में छोड़ दिया था, पाकिस्तान की इस हरकत पर जताई थी आपत्ति

साल 2020 में SCO समिति की बैठक में अजित डोभाल ने आपत्ति दर्ज कराई थी.  पाकिस्तान ने भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर को अपने राजनीतिक मानचित्र में रखा था.

साल 2020 में SCO समिति की बैठक में अजित डोभाल ने आपत्ति दर्ज कराई थी.  पाकिस्तान ने भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर को अपने राजनीतिक मानचित्र में रखा था.

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Mohit Saxena
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Ajit Doval File

ajit doval (social media)

पीएम मोदी चीन में SCO समिट में शामिल हुए. पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच करीब एक घंटे तक मुलाकात हुई. इस दौरान अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बीच 2020 में SCO की एक बैठक याद आती है. जिसमें अजित डोभाल भी शामिल थे. पाकिस्तान की एक हरकत को लेकर उन्होंने बैठक छोड़ दी थी.  तब कोविड-19 के कारण बैठक वर्चुअल हुई थी. उस समय बैठक की अध्यक्षता रूस कर रहा था.

पाकिस्तानी प्रतिनिधि की ओछी हरकत 

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बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रतिनिधि डॉ. मोईद यूसुफ ने एक राजनीतिक मानचित्र को पेश किया था. इसमें भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर और जूनागढ़ पर पाकिस्तान में दिखाया गया. पाकिस्तान के प्रतिनिधि के ये हरकत एससीओ के नियमों का उल्लंघन थी.

भारत ने जताई आपत्ति

पाकिस्तान की इस हरकरत पर भारत ने आपत्ति जताई. बैठक की अध्यक्षता रूस कर रहा था. ऐसे में रूस ने पाकिस्तान के प्रतिनिधि से मानचित्र को हटाने की चेतावनी दी. इसे नजरअंदाज कर दिया गया. उसके बाद जो  हुआ किसी ने नहीं सोचा था. 

बैठक छोड़कर बाहर डोभाल

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल इस बैठक को छोड़कर बाहर निकल आए. उनका ये कदम यह संदेश था कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा. इस घटना के बाद रूस की ओर से जारी किए बयान में कहा गया कि वह पाकिस्तान की भड़काऊ कार्रवाई का समर्थन नहीं करता है. रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पात्रुशेव ने अजित डोभाल के इस कदम की सराहना की थी. 

अजित डोभाल का ट्रैक रिकॉर्ड

अजित डोभाल 1971 और 1978 के बीच खुफिया मिशन पर थे. वह पाकिस्तान से जानकारी एकत्र करने के लिए एक मुस्लिम मौलवी बनकर यहां पर रहे. उन्होंने पाकिस्तान की सैन्य योजनाओं की जानकारी भारत तक पहुंचाई. इससे भारत को रणनीतिक निर्णय लेने में सहायता मिली. 

घेरलू विद्रोहों को शांत कराया 

भारत में अजित डोभाल ने घरेलू विद्रोह दौरान शांति वार्ता में मदद की. इसमें मिजो विद्रोही नेताओं के साथ बातचीत में शामिल हुए. इसके परिणामस्वरूप 1986 में मिजो शांति समझौता हुआ. डोभाल 1988 में आपरेशन ब्लैक थंडर का भी हिस्सा रह चुके थे. इसमें उन्होंने स्वर्ण मंदिर परिसर में घुसपैठ कराई. उग्रवादियों के बारे में खुफिया जानकारी एकत्र की थी. 

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