भारत और अफ्रीकी देशों के बीच समुद्री सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पहली बार एआईकीम 2025 (Africa India Key Maritime Engagement) नामक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का आयोजन 13 से 18 अप्रैल 2025 तक तंज़ानिया में किया जा रहा है. ‘एआईकीम’ संस्कृत शब्द एकीम से प्रेरित है, जिसका अर्थ है 'एकता'. इस अभ्यास में भारत और तंज़ानिया के अलावा कोमोरोस, जिबूती, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, सेशेल्स और दक्षिण अफ्रीका की नौसेनाएं भाग लेंगी. यह पहल भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है.
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भारतीय रक्षा संपर्क दल ने भव्य स्वागत किया
भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस चेन्नई (डिस्ट्रॉयर) और आईएनएस केसरी (लैंडिंग शिप टैंक - लार्ज) क्रमशः 10 और 11 अप्रैल को दारेस्सलाम पहुंचे. उनके आगमन पर तंज़ानियाई रक्षा अधिकारियों और भारतीय रक्षा संपर्क दल ने भव्य स्वागत किया. आईएनएस चेन्नई पर तंज़ानियाई पीपल्स डिफेंस फोर्स (TPDF) और भारतीय नौसेना की संयुक्त बैंड की धुनों के बीच दोनों देशों के राष्ट्रगान की प्रस्तुतियां हुईं और एक समारोहिक गार्ड ने सलामी दी.
स्थानीय नागरिकों के लिए भारतीय नौसेना के पोत खोले जाएंगे
अभ्यास के हार्बर फेज़ के दौरान उद्घाटन समारोह एवं डेक रिसेप्शन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भारत के माननीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ और तंज़ानिया के रक्षा मंत्री मुख्य अतिथि होंगे. इस चरण में टेबल टॉप एक्सरसाइज़, कमांड पोस्ट ड्रिल, एंटी-पायरेसी ऑपरेशन, सीमनशिप प्रशिक्षण, और VBSS (विज़िट, बोर्ड, सर्च एंड सीज़र) अभ्यास जैसे कई समन्वित कार्यक्रम होंगे. साथ ही, खेल प्रतियोगिताएं और योग सत्र भी आयोजित किए जाएंगे, जिससे भागीदार देशों के बीच मेल-जोल और भाईचारा बढ़ेगा. स्थानीय नागरिकों के लिए भारतीय नौसेना के पोत खोले जाएंगे.
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अभ्यास का सी फेज़ 16 से 18 अप्रैल के बीच होगा
अभ्यास का सी फेज़ 16 से 18 अप्रैल के बीच होगा, जिसमें समुद्री सुरक्षा को लेकर साझा सहयोग और संचालन क्षमता को मज़बूती देने पर ज़ोर रहेगा. करवार से 5 अप्रैल को रवाना हुआ आईएनएस सुनयना भी इस अभ्यास में भाग लेगा. यह पोत 'सागर' मिशन के तहत हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की सक्रिय उपस्थिति का प्रतीक है. एआईकीम 2025 का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में साझा समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट रणनीति तैयार करना और सहयोगी देशों की नौसेनाओं के बीच परस्पर संचालन योग्यता को बढ़ाना है. यह भारत और अफ्रीकी देशों के मजबूत और सौहार्दपूर्ण संबंधों का प्रतीक बनकर उभर रहा है.