AI और हाईटेक निगरानी से कश्मीर में आतंकवाद पर कसेगा शिकंजा, NSA डोभाल की सीधी होगी नजर

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं।. सरकार उन इलाकों पर खास नजर रखेगी जहां आतंकी घटनाओं की ज्यादा आशंका रहती है.

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं।. सरकार उन इलाकों पर खास नजर रखेगी जहां आतंकी घटनाओं की ज्यादा आशंका रहती है.

Rahul Dabas & Ravi Prashant
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ajit doval on kashmir valley

एआई बेस्ड वर्किंग सिस्टम इन वैली Photograph: (X)

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम कसने और सुरक्षा को अभेद्य बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की निगरानी में घाटी में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित अत्याधुनिक सुरक्षा ग्रिड लागू किया गया है. यह ग्रिड रेलवे, पुलों, जंगलों और सार्वजनिक परिवहन जैसे संवेदनशील स्थानों को पूरी तरह कवर करता है.

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कटरा-श्रीनगर रेलवे और चेनाब ब्रिज पर हाईटेक कैमरे

कटरा से श्रीनगर तक की रेल लाइन पर 3000 से अधिक ब्लास्ट-प्रूफ AI CCTV कैमरे लगाए गए हैं. ये कैमरे नाइट विजन से लैस हैं और रात में भी 100 मीटर तक की स्पष्ट निगरानी कर सकते हैं. इन कैमरों की तकनीक को खुद NSA डोभाल ने अनुमोदित किया है. यह सिस्टम संदिग्ध गतिविधियों को AI की मदद से पहचानकर अलर्ट भेज सकता है. साथ ही, दुनिया के सबसे ऊंचे चेनाब ब्रिज की भी इन्हीं कैमरों से निगरानी हो रही है.

CRPF को मिली चेहरा पहचानने वाली AI टॉर्च

पहलगाम आतंकी हमले के बाद CRPF को विशेष AI टॉर्च दी गई है, जो दिखने में सामान्य लेकिन तकनीक से भरपूर है. इसमें चेहरा पहचानने की क्षमता, डेटाबेस लिंक, नाइट विजन कैमरा और वाइब्रेशन अलर्ट सिस्टम है. यह टॉर्च बस या ट्रेन में संदिग्ध चेहरों की पहचान कर अलर्ट भेजती है और कंट्रोल रूम को लोकेशन की जानकारी देती है.

ajit doval on kashmir valley supervision
टॉर्च Photograph: (NN)

 

पीर पंजाल में AI वेपन लोकेटर

जम्मू-कश्मीर के बीच फैली पीर पंजाल पर्वतमाला में लगाए गए CCTV कैमरों को अब AI वेपन लोकेटर सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है. यह तकनीक कपड़ों के अंदर छुपे हथियारों की भी पहचान कर सकती है, चाहे वह व्यक्ति किसी भी भेष में क्यों न हो. न्यूज नेशन को मिले इनपुट के अनुसार, नकली हथियार की पहचान का डेमो भी सफल रहा है.

सुरक्षा की नई परिभाषा

यह पूरी प्रणाली भारत में ही विकसित की गई है और इसमें किसी चीनी तकनीक का इस्तेमाल नहीं हुआ है. यह सुरक्षा ग्रिड सिर्फ बंदूक नहीं, बल्कि डेटा, तकनीक और निगरानी के समन्वय से घाटी में आतंकियों की कमर तोड़ने की क्षमता रखता है.

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