भारत ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए एरो इंडिया 2025 के दौरान अपना स्वदेशी वाहन-आधारित काउंटर-ड्रोन सिस्टम लॉन्च किया. यह प्रणाली आदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है. DRDO के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार प्रणाली के महानिदेशक डॉ. बी.के. दास ने इस प्रणाली का अनावरण किया.
इस कार्यक्रम में DRDO के अधिकारी, रक्षा विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे. यह अनावरण भारत की सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सफलता को दर्शाता है, जहां रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए उद्योग और सरकारी एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं.
ड्रोन खतरों से निपटने की अनिवार्यता
आधुनिक युद्धक्षेत्र में ड्रोन का तेजी से बढ़ता उपयोग, निगरानी से लेकर हमलावर अभियानों तक, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है. इस चुनौती का सामना करने के लिए एक प्रभावी और तकनीकी रूप से उन्नत काउंटर-ड्रोन प्रणाली की आवश्यकता थी. आदानी डिफेंस और DRDO द्वारा विकसित यह प्रणाली लंबी दूरी तक सुरक्षा प्रदान करती है. यह उन्नत सेंसर तकनीक की मदद से स्वचालित रूप से ड्रोन का पता लगाकर उसे निष्प्रभावी बना देती है.
तकनीकी विशेषताएं
इस काउंटर-ड्रोन सिस्टम को एक 4x4 वाहन पर एकीकृत किया गया है, जो इसे अत्यधिक मोबाइल और आत्मनिर्भर बनाता है. इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
उच्च-ऊर्जा लेजर सिस्टम: ड्रोन को सटीक रूप से निष्प्रभावी करने की क्षमता.
7.62 मिमी गन: हवाई खतरों के प्रभावी मुकाबले के लिए.
उन्नत सेंसर प्रणाली: रडार, SIGINT, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और जैमर के माध्यम से लक्ष्य अधिग्रहण, ट्रैकिंग और निष्प्रभावीकरण.
10 किमी की प्रभावी सीमा: त्वरित प्रतिक्रिया और परिचालन लचीलापन प्रदान करता है.
इस मौके पर आदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के CEO आशीष राजवंशी ने कहा कि यह अनावरण भारत के रक्षा नवाचार की सफलता का प्रतीक है. DRDO की विश्वस्तरीय तकनीकों को हमारी उन्नत विनिर्माण क्षमताओं के साथ जोड़ते हुए हमने एक ऐसा समाधान विकसित किया है जो सशस्त्र बलों की क्षमताओं को मजबूत करता है. DRDO के महानिदेशक डॉ. बी.के. दास ने कहा, "यह प्रणाली असममित खतरों के खिलाफ भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. इस प्रणाली का विकास स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है.
रक्षा आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम
इस प्रणाली का विकास भारत की आयात पर निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की वैश्विक रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है.