Birsa Munda Jayanti: कहानी उस इकलौते आदिवसी नेता की, जिसकी तस्वीर संसद में सुशोभित, भगवान के रूप में होती है पूजा

Birsa Munda Jayanti: आदिवासियों के मार्गदर्शक और भगवान के रूप में देश भर में पूजे जाने वाले बिरसा मुंडा की आज 150वीं जयंती है. आइये जानते हैं…

Birsa Munda Jayanti: आदिवासियों के मार्गदर्शक और भगवान के रूप में देश भर में पूजे जाने वाले बिरसा मुंडा की आज 150वीं जयंती है. आइये जानते हैं…

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Jalaj Kumar Mishra
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Adivasi Leader Birsa Munda 150th Birth Anniversary janjatiya gaurav divas

Birsa Munda Jayanti

Birsa Munda Jayanti: झारखंड के उलिहातू गांव में जन्में बिरसा मुंडा की आज 150वीं जयंती है. उनका जन्म 15 नवंबर 1875 में हुआ था. आज का दिन सिर्फ भारत के आदिवासी समुदाय के लिए ही खास नहीं है बल्कि देश के स्वतंत्रता संघर्ष के लिए महत्वपूर्ण है. धरती अबा यानी धरती पिता कहलाने वाले बिरसा मुंडा ने सिर्फ 25 साल की उम्र में ही ब्रिटिश शासन की नींदें उड़ा दी थी. उनकी वजह से भारत के जनजातीय प्रतिरोध को इससे नई दिशा मिली. 

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जनजातीय समाज को सामाजिक सुधार का रास्ता दिखाया

गरीबी और अत्याचार के बीच पले-बढ़े बिरसा मुंडा ने अपने समुदाय को सामाजिक सुधार का रास्ता दिखाया. उन्होंने ब्रिटिश सरकार की शोषणकारी जमीनी व्यवस्था के खिलाफ भी आवाज उठाई. उन्होंने ही मुंडा समुदाय के बीच में उलगुलान यानी महान विद्रोह की शुरुआत की. विद्रोह का उद्देश्य- जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के अधिकार को बहाल करना था. 

 तथ्य जो कम लोग जानते हैं

  1. बिरसा मुंडा ही भारत के इकलौते आदिवासी नेता हैं, जिनकी तस्वीर भारतीय संसद में सुशोभित है. 
  2. उन्होंने सिर्फ राजनीतिक विद्रोह ही नहीं किया, बल्कि अंधविश्वास, सामाजिक बुराइयों और शराब से लड़ने के लिए व्यापक स्तर पर सामाजिक सुधार का आंदोलन भी चलाया.
  3. धार्मिक-आध्यात्मिक आंदोलन चलाकर उन्होंने खुद को भगवान नहीं, बल्कि समुदाय के मार्गदर्शक के रूप में पेश किया.
  4. मुंडा विद्रोह को नियंत्रित करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने पहली बार विशेष अभियान बल तैनात किया था.
  5. 9 जून 1900 को रांची जेल में रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी.  

आधुनिक भारत में पहचान

15 नवंबर को भारत सरकार ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाती है. बिरसा मुंडा जैसे नायकों के गौरवशाली योगदान को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए सरकार ने ऐसा किया है. खास बात है कि झारखंड का गठन भी आज के दिन ही साल 2000 में हुआ था. एक तरह से बिरसा मुंडा की विचारधारा को सम्मान देने का ये प्रतीक है.

Birsa Munda
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