/newsnation/media/media_files/2025/09/05/shankaracharya-2025-09-05-17-22-52.jpg)
shankaracharya Photograph: (social media)
मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग अब दक्षिण भारत में भी जोर पकड़ने लगी है इस बार यह आवाज तिरुपति से उठी है, मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और मंदिरों के संसाधन सिर्फ सनातन धर्मियों पर ही खर्च करने के मुद्दे को लेकर बालाजी की नगरी तिरुपति में कांची कामकोठी पीठम के शंकराचार्य श्री शंकर विजेंद्र सरस्वती ने महत्वपूर्ण बैठक की. बैठक में हिंदू धर्म के प्राचीन और प्रतिष्ठित पीठ कांची कामकोटि पीठ के तत्वावधान में सनातन धर्म और मंदिरों के संरक्षण एवं संवर्धन के विषय पर विस्तार से चर्चा हुई. इस अवसर पर हिंदू श्री फाउंडेशन का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जिसमे डॉ कौशल कांत मिश्रा, सुहानी मिश्रा और डॉ विनय पाठक ने श्री श्री कांची कामकोटि पीठाधीश्वर शंकराचार्य श्री शंकर विजेंद्र सरस्वती से मुलाकात की और भविष्य की कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा की. बैठक में सनातन धर्म की रक्षा, मंदिरों के संरक्षण एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण को लेकर ठोस पहल पर सहमति बनी. शंकराचार्य जी ने हिंदू श्री फाउंडेशन के पहल की सराहना करते हुए इस दिशा में सहयोग देने का आश्वासन दिया.
सरकारी और गैर सनातनियों पर खर्च न हो
तिरुपति में 4 जुलाई को हिंदू श्री फाउंडेशन की शंकराचार्य श्री शंकर विजेंद्र सरस्वती जी के साथ हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई और इस बात का संकल्प भी लिया गया की न सिर्फ हिंदू मठ मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराया जाएगा बल्कि जिस तरीके से मंदिरों के संसाधन का सरकार दुरुपयोग करती है और गैर सनातनियों पर उसका खर्च होता है उसे रोकने के लिए भी पहल की जाएगी. बैठक में सनातन मंदिर और उनकी प्राचीन परम्परा को केन्द्र में रखते हुए हिंदू श्री फाउंडेशन के अपने मूल मंत्र “ मंदिर रक्षति रक्षित:” को स्वीकार किया गया. इस महत्वपूर्ण बैठक में देश भर के मंदिरों के साथ-साथ तमिलनाडु के मंदिरों और मटन पर विशेष चर्चा हुई साथ ही सनातन समाज के कल्याण से जुड़े हुए कई विषयों पर भी चर्चा हुई जैसे तमिलनाडु सहित देशभर में बंद हो रहे प्राचीन मंदिरों के पुनर्जागृती एवम जीर्णोद्धार के लिए सामाजिक एवं कानूनी स्तर पर ठोस कार्यवाही की आवश्यकता पर जोर दिया गया तो वही इस बात पर विशेष बल दिया गया कि मंदिरों की आय केवल मंदिरों, शिक्षा और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार पर ही खर्च में हो, सरकारी और गैर सनातनियों पर खर्च न हो.
अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया
साथी शिक्षा को लेकर के हुई चर्चा में नई शिक्षा नीति के तहत प्राचीन संस्कृति और सांस्कृतिक शिक्षा प्रणाली को विद्यालयों में शामिल करने और इंडियन नॉलेज सिस्टम (IKS) को बढ़ावा देने पर बल दिया गया. और संस्कृति और परंपरा से जुड़े विषयों और कार्यों को रोजगारपरक बनाने पर भी जोर दिया गया. मेडिकल काउंसिल की तर्ज पर सनातन काउंसिल गांव, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर गठन को लेकर भी बैठक में सहमति बनी इसके अलावा भारतीय लोकतंत्र में संसद, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति-विभाजन की तरह धर्म को भी एक स्वतंत्र स्तंभ के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई और अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया गया .
तिरुपति में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में शंकराचार्य श्री शंकर विजेंद्र सरस्वती की उपस्थिति में हिन्दू श्री फाउंडेशन के संस्थापक डॉ कौशल कांत मिश्रा और दूसरे सदस्यों ने समानत मंदिरों और उससे जुड़े ज्वलंत मुद्दों का डिटेल प्रेजेंटेशन दिया. जिसमें सनातन धर्म से जुड़ी चुनौतियों, उनके कारणों और संभावित समाधानों पर विस्तृत चर्चा हुई. सम्मेलन में उपस्थित आचार्यों और पुजारियों ने फाउंडेशन के प्रयासों का पूर्ण समर्थन किया. सालाना इस बैठक में कई दूसरे महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए जो हिंदू श्री फाउंडेशन के अभियान को जमीन पर उतारने में कारगर साबित होंगे जिसमें पहले है
- मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने हेतु देशव्यापी संस्था का गठन हो.
- इस संस्था के माध्यम से गांव-गांव के मंदिरों से लेकर देश के प्रमुख मंदिरों को एक सूत्र में जोड़ने का संकल्प हो.
- न्यायालयों में लंबित हिंदू आस्था से जुड़े मामलों में हिंदू श्री फाउंडेशन द्वारा सनातन धर्म का पक्ष रख जाएगा
समस्याओं को हिंदू समाज तक पहुंचाया जाएगा
याचिका आचार्य परंपरा को पुनर्विकसित करने के लिए कार्य योजना के प्रथम चरण में पांच राज्यो- दिल्ली ,हरियाणा ,पंजाब , जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश का चयन किया गया. और जानकारी सामान्य हिंदुओं तक पहुंच सके इसके लिए हिन्दू श्री फाउंडेशन का ऑफिशियल वेबसाइट लॉन्च किए गया जिसका लोकार्पण श्री श्री शंकराचार्य जी के करकमलों से संपन्न हुआ. इस वेबसाइट के जरिए सनातन मंदिरों से संबंधित प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी कि वर्तमान समय में किस मंदिर का क्या हाल है कौन से मंदिर सरकार के अधीन है और कितने ऐसे मंदिर हैं इसका रखरखाव नहीं हो पा रहा है यानी मंदिरों से जुड़ी संपूर्ण जानकारी इस वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी , वेबसाइट का जो सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसके माध्यम से भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर के मंदिरों से जुड़ी जानकारी और समस्याओं को हिंदू समाज तक पहुंचाया जाएगा.