झारखंड में दहेज की खातिर हर दूसरे दिन एक महिला की हत्या हो जाती है, जबकि राज्य के पुलिस थानों में हर रोज प्रताड़ना के चार से पांच मामले पहुंचते हैं। हर रोज 15 से 16 महिलाएं किसी न किसी रूप में हिंसा की शिकार बनती हैं।
यह आंकड़ा झारखंड पुलिस में इस साल जनवरी से लेकर जून तक दर्ज हुए मामलों के विश्लेषण से सामने आया है।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक इन छह महीनों में 101 महिलाओं की मौत का कारण दहेज बना। राज्य के अलग-अलग थानों में हत्या, आत्महत्या या संदिग्ध मौत की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इस अवधि में 864 महिलाएं दहेज प्रताड़ना की शिकायतें लेकर पुलिस के पास पहुंची।
अपहरण, रेप और छेड़खानी की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में 794 महिलाएं, बच्चियां या युवतियां रेप की शिकार हुईं। यानी औसतन रोज कम से कम चार महिलाओं-लड़कियों की अस्मत लूट ली गई। छेड़खानी की भी रोज दो से तीन शिकायतें पुलिस में दर्ज हुईं।
इन छह महीनों में महिलाओं-लड़कियों के अपहरण के 690 केस दर्ज हुए हैं। यानी हर रोज औसतन तीन से चार अपहरण की भी घटनाएं सामने आईं। जिलों की बात करें तो धनबाद में छेड़खानी की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं, जबकि रेप की वारदात सबसे ज्यादा रांची में हुई।
रांची में छह महीने में सबसे ज्यादा 106 रेप के केसेज दर्ज हुए। धनबाद जिले में इन छह महीनों में छेड़खानी की 88 घटनाएं रिपोर्ट की गईं।
महिला हिंसा की सभी प्रकार की घटनाओं के बात करें तो इन छह महीनों में उनके खिलाफ अपराध और हिंसा की कुल 2832 घटनाएं दर्ज की गईं।
झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता योगेंद्र यादव कहते हैं कि न्यायालय में भी महिलाओं के प्रति हिंसा के मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वह बताते हैं कि हालांकि दहेज प्रताड़ना और रेप के कई मामले ऐसे होते हैं, जिनमें ससुराल वालों या विरोधी पक्ष को जान-बूझकर फंसाने की प्रवृत्ति होती है।
अदालतें भी दहेज प्रताड़ना से संबंधित कानूनी धाराओं के दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जता चुकी हैं।
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Source : IANS