Advertisment

पान बेच कर गांव में बना डाला मंदिर, बेटियों की शादी के लिए बना मददगार

पान बेच कर गांव में बना डाला मंदिर, बेटियों की शादी के लिए बना मददगार

author-image
IANS
New Update
पान बेच

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

ऐसे तो प्रदेश, देश में कई मंदिरों की पहचान नौलखा मंदिर से होती है, लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का नौलखा मंदिर आस्था के लिए तो प्रसिद्ध है ही, यह मंदिर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की बेटियों के विवाह में काफी मददगार भी साबित हो रहा है।

इस मंदिर के निर्माण की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। आमतौर पर देखा जाता है कि सार्वजनिक सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया जाता है, लेकिन इस मंदिर का निर्माण एक पान बेचने वाले ने करवाया है। उनकी मृत्यु के बाद इस मंदिर की देखरेख उनके बेटे कर रहे हैं।

मुजफ्फरपुर में कुढ़नी प्रखंड के कमतौल गांव के नौलखा मंदिर की प्रसिद्धि आस्था के केंद्र के रूप में स्थापिक यह मंदिर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए भी मददगार बना हुआ है। इस मंदिर में बेटियों की शादी का सारा इंतजाम मुफ्त में किया जाता है।

कुढ़नी प्रखंड के बलिया-बलौर मार्ग में कमतौल स्थित त्रिवेणी सिंह बालिका उच्च विद्यालय के पास स्थित इस मंदिर में हर साल गरीब परिवारों की 500 से अधिक कन्याओं का विवाह नि:शुल्क होता है।भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण 1992 में कमतौल निवासी शिव कुमार सिंह ने कराया था।

बताया जाता है कि उस वक्त मंदिर निर्माण में नौ लाख रुपये का खर्च आया था, इससे इसका नाम नौलखा मंदिर पड़ गया। शिव कुमार के निधन के बाद उनके बेटे प्रेमनाथ और ललन मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।

प्रेमनाथ बताते हैं कि उनके पिता कोलकाता में पान की दुकान चलाते थे। घर में एक बार चोरों ने नकदी सहित सभी सामानों कि चोरी कर ली। कोलकाता छोड़कर वे गांव आ गए। जहां आज यह मंदिर है, उस समय निर्जन स्थल था। वे एक दिन यहीं बैठे थे। इसके बाद उसी रात उनके सपने में भगवान शिव आए। उन्होंने मंदिर बनाने को कहा।

इसके बाद पिता जी इस मंदिर निर्माण में जुट गए। मुजफ्फरपुर और वैशाली जिले की सीमा पर स्थित इस मंदिर में हर साल कन्याओं की शादी कराने वाले परिवारों का तांता लगता है। मंदिर के केयर टेकर संजय पटेल ने बताया कि मंदिर की ओर से कन्या के परिवार वालों को विवाह से जुड़ी हर सुविधा और व्यवस्था मुफ्त दी जाती है।

मंदिर के पास से नून नदी गुजरती है और शमशान होने के कारण पहले इस रास्ते से होकर आने- जाने में डर लगता था। मंदिर का निर्माण होने के बाद यह इलाका धार्मिक स्थल में बदल गया है। मुजफ्फरपुर और वैशाली ही नहीं, आपस के कई जिलों के लोग बेटी की शादी करने यहां पहुंचते हैं। नौलखा मंदिर की शोभा सावन माह और महाशिवरात्रि में और बढ़ जाती है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर को लेकर लोगों में गहरी आस्था है। प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का महाश्रृगांर किया जाता है। महाशिवरात्रि में झांकी निकाली जाती है।

प्रेमनाथ ने बताया कि सावन माह के प्रत्येक सोमवारी और महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के पास बड़ा मेला लगता है। दूर दराज से श्रद्धालु बाबा के श्रृंगार दर्शन और पूजन करने पहुंचते है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment