कांग्रेस ने शनिवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) को 2017 में अधिक स्वायत्तता दी गई थी, लेकिन सरकार ने जो शुरुआत की थी उसे खत्म कर रही है।
कांग्रेस ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) यथासंभव कड़ा नियंत्रण बनाए रखना चाहता है।
कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, आईआईएम को 2017 में अधिक स्वायत्तता दी गई थी और कानून को संसद में व्यापक समर्थन मिला था। लेकिन छह साल बाद मोदी सरकार अपनी ही पहल को पलट रही है। स्पष्ट रूप से, स्वायत्तता इस सरकार के लिए अवांछित है।
राज्यसभा सांसद ने कहा, पीएमओ अब यथासंभव सख्त नियंत्रण बनाए रखना चाहता है। वह कार्यक्रमों की गुणवत्ता, विचार की स्वतंत्रता और प्रशासन के लचीलेपन के सभी विचारों को दरकिनार करते हुए विचारधारा की शुद्धता सुनिश्चित करना चाहता है।
उनकी टिप्पणी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में आईआईएम (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश करने के एक दिन बाद आई है।
यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति को न केवल प्रत्येक आईआईएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के अध्यक्ष की नियुक्ति करने की शक्ति मिल जाएगी, बल्कि इन संस्थानों के निदेशक को नियुक्त करने के साथ-साथ उन्हें हटाने का अधिकार भी प्राप्त होगा।
इस कदम को देश के प्रमुख बिजनेस स्कूलों आईआईएम की स्वायत्तता को कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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Source : IANS