उत्तर प्रदेश की लोककला को देश समेत दुनियाभर में प्रसिद्धि दिलाने की दिशा में सरकार ने तेजी से कदम बढ़ाने शुरू किए हैं। उत्तर प्रदेश पर्व : हमारी संस्कृति-हमारी पहचान थीम से आयोजित किए जा रहे इस उत्सव से संबंधित कार्यकर्मों का आयोजन 25 दिसंबर से 26 जनवरी 2024 तक होगा।
इस दौरान, गांव, ब्लॉक, तहसील, जिला, मंडल समेत राज्य स्तर पर लोक कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित मंच मिलेगा। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा इस उत्सव का आयोजन प्रदेश भर में कराया जाएगा, जिसमें कई प्रतियोगिताएं शामिल होंगी। मुख्य रूप से शास्त्रीय, उप शास्त्रीय, लोक नाट्य व लोक संगीत जैसी सांस्कृतिक विधाओं को प्रश्रय प्रदान करने की भावना से इन कार्यक्रमों का आयोजन प्रदेश भर में किया जाएगा।
इस आयोजन में ग्रामीण अंचलों में प्रचलित लोक संगीत को भी काफी प्रमुखता दी जाएगी तथा सभी स्तरों पर होने वाली प्रतियोगिताओं में विजेता कलाकारों को सम्मानित व पुरस्कृत किया जाएगा। 25 से 30 दिसंबर के बीच तहसील मुख्यालय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें गांवों, पंचायत, ब्लॉक व तहसील स्तर के कलाकार भाग लेंगे। इसके बाद, 1 से लेकर 5 जनवरी 2024 के बीच जिला मुख्यालयों पर होने वाली प्रतियोगिता में तहसील स्तर के चयनित कलाकार भाग लेंगे।
मंडलीय मुख्यालस स्तर पर 10 से 15 जनवरी के बीच प्रतियोगिता का आयोजन होगा, जिसमें जिला स्तर पर चयनित कलाकार प्रतिभाग करेंगे। इसके आगे तीन अन्य चरणों से गुजर कर प्रतियोगिता निर्णायक स्थिति में पहुंचेगी और इन तीनों ही चरण की प्रतियोगिताओं का आयोजन लखनऊ में होगा। मंडल स्तर के चयनित कलाकारों को अभ्यास व मुख्य आयोजन में प्रतिभाग करने का मौका मिलेगा और सम्मानित भी किया जाएगा।
इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सार्वभौमिक सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी, जिसके लिए विभिन्न स्तर पर शासकीय-अर्ध शासकीय विभागों, शैक्षणिक संस्थानों, स्वैच्छिक संस्थाओं, नेहरू युवा केंद्र तथा नेशनल कैडेट कोर समेत सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाएगा। सूचना जनसंपर्क विभाग द्वारा भी संस्कृति उत्सव 2023 के प्रचार-प्रसार के लिए व्यापक कदम उठाए जाएंगे।
सांस्कृतिक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय गायन में ख्याल, ध्रुपद, उपशास्त्रीय गायन में ठुमरी, दादरा, चैती, चैता, झूला, होरा, टप्पा, वादन में बांसुरी, शहनाई, हारमोनियम, सितार, वॉयलिन, गिटार, सारंगी, वीणा, तबला, पखावज, मृदंगम व घटम तथा जनजातीय व लोक वाद्यंत्र से जुड़ी प्रतियोगिताएं होंगी। वहीं, नृत्य में कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम व अन्य शास्त्रीय नृत्यों से जुड़ी प्रतियोगिताएं होंगी।
इसी प्रकार, लोक नृत्य में धोबिया, अहिरवा, करमा, शैला, डोमकच, आखेट तथा लोक नाट्य में नौटंकी, रामलीला, रासलीला, स्वांग, भगत, बहुरूपिया, नुक्कड़ नाटक आदि की प्रतियोगिताएं होंगी।
लोक गायन में कजरी, चैती, झूला, बिरहा, आल्हा, निर्गुण, लोकगीत, कव्वाली व सुगम संगीत के अंतर्गत गीत, गजल, भजन तथा देशभक्ति गीत जैसी कैटेगरीज में प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। एकल नृत्य व सामूहिक नृत्य के लिए रिकॉर्डेड संगीत मान्य होगा। प्रतियोगिताओं में विजयी कलाकारों को मेडल, प्रमाण पत्र व स्मृति चिह्न देकर पुरस्कृत किया जाएगा।
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Source : IANS