बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को भी विपक्षी सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया। विपक्ष के सदस्य आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे।
हंगामा के बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खड़े होकर कहा कि आपकी जो भी मांग है वह पहले ही पूरी हो चुकी है, इस पर हंगामा करने का कोई मतलब नहीं है।
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य वेल में पहुंच गए। विधानसभा अध्यक्ष नन्द किशोर यादव बार-बार उन्हें अपनी जगह पर जाकर बात कहने का आग्रह करते रहे। लेकिन, विपक्ष हंगामा करता रहा।
इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खड़े होकर कहा कि सरकार ने पहले ही जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ा दिया है। इस पर पटना उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भी सरकार द्वारा केंद्र सरकार को लिखा जा चुका है। इसके बाद इस मामले को लेकर हंगामे का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना के बाद 94 लाख गरीबों की पहचान की गई है। उनके विकास के लिए सरकार ने दो-दो लाख रुपया देना शुरू कर दिया।
इस दौरान, मुख्यमंत्री भड़कते भी दिखे। उन्होंने एक महिला विधायक को कहा, महिला हो, कुछ जानती हो? कहां से आते हैं, इन लोगों ने कुछ किया है? 2005 के बाद महिला को हमने ही आगे बढ़ाया है।
विपक्ष के विरोध पर संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार ने बढ़ाए गए आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर पहले ही प्रस्ताव भेज दिया है। उन्होंने कहा कि आप लोग सिर्फ सिम्पैथी लेना चाहते हैं।
वहीं सदन में विपक्षी विधायकों के हाय हाय के नारे लगाए जाने पर नीतीश कुमार खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि आप सब हाय हाय हैं। अगर हमारी बात नहीं सुननी है तो यह आपकी गलती है। हंगामा होता देख कर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को दो बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दिया।
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Source : IANS