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दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों की हो कैग ऑडिट : देवेंद्र यादव

दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों की हो कैग ऑडिट : देवेंद्र यादव

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बिजली के बिल में सेस लगाने को लेकर सियासी बवाल मचा है। इस सबके बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने बिजली वितरण कंपनियों का कैग द्वारा ऑडिट कराए जाने की मांग उठाई है।

यादव ने कहा, “पीपीएसी में 9 प्रतिशत वृद्धि के बाद बिलों पर 46 प्रतिशत पीपीएसी वसूला जाएगा। इससे दिल्लीवासियें में आर्थिक बोझ बढ़ेगा।”

उन्होंने कहा कि इसकी भी जांच होनी चाहिए कि आखिर कैसे हर वर्ष पीपीएसी में बढ़ोतरी वाजिब है?

इस बीच, उन्होंने दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “केजरीवाल का बिजली माफ और पानी हाफ का वादा झूठा साबित हुआ। दिल्लीवासियों को भारी भरकम बिल भरना पड़ रहा है। 200 यूनिट की सब्सिडी मात्र 10 प्रतिशत तक को ही मिल रही है।”

कांग्रेस नेता ने कहा, “जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो अरविंद केजरीवाल लगातार बिजली कंपनियों का कैग द्वारा ऑडिट कराए जाने की मांग करते थे, लेकिन अब जब वो खुद सत्ता में आ गए हैं, तो उन्होंने आज तक एक बार भी बिजली कंपनियों का कैग द्वारा ऑडिट नहीं कराया है, जबकि केजरीवाल ने खुद कहा था कि अगर वो सत्ता में आएंगे, तो एक या दो बार नहीं, बल्कि तीन बार दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों को कैग द्वारा ऑडिट कराया जाएगा।”

उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा, “कहीं ऐसा तो नहीं है कि दिल्ली में बिजली बिलों में हुए घोटाले में आम आदमी पार्टी और बीजेपी शामिल है। मैं कहता हूं कि इसकी जांच होनी चाहिए।”

देवेंद्र यादव ने कहा, “कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि बिजली बिलों में बढ़ोतरी को फौरन वापस लें, ताकि दिल्लीवासी राहत की सांस ले सकें। दिल्ली में बिजली बिलों में हुई बढ़ोतरी से आम लोगों को बेशुमार दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। वैसे भी दिल्ली सरकार की कार्यशैली से यहां की जनता त्रस्त हो चुकी है। यह सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है, जिसे दिल्ली की जनता से कोई सरोकार नहीं है। मैं दावे के साथ कहता हूं कि यह लोग भ्रष्टाचार के गर्त में डूबे में हुए हैं।”

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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