झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के पलामू प्रमंडल में अवैध माइनिंग की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डॉ. बीआर षाडंगी और जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच ने दोनों केंद्रीय एजेंसियों से इस मामले में मंतव्य मांगा है।
जनहित याचिका सोशल एक्टिविस्ट पंकज यादव की ओर से 2019 में दाखिल की गई थी, जिसमें पलामू प्रमंडल में अवैध माइनिंग की जांच करवाकर रोक लगाने की मांग की गई थी।
पूर्व में हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए अवैध माइनिंग की जांच के लिए राज्य सरकार को आईजी लेवल के अफसर के नेतृत्व में एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। इसके बाद आईपीएस असीम विक्रांत मिंज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर जांच कराई गई। इसमें खनन पदाधिकारी तथा भूतत्व अधिकारी भी शामिल रहे।
स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने हाईकोर्ट को जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें पलामू प्रमंडल में पत्थर, कोयला और बालू की माइनिंग में अनियमितता की बात सामने आई थी। याचिकाकर्ता ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि अवैध माइनिंग की बात तो स्वीकारी गई परंतु ग्राउंड लेवल पर बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ियों को नजरअंदाज कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पलामू के छतरपुर, हरिहरगंज, चैनपुर, सतबरवा और गढ़वा जिले के रंका, चिनिया, बिश्रामपुर लातेहार के महुआडांड़, बालूमाथ, हेरगंज आदि इलाकों में नियमों के विरुद्ध पत्थरों और बालू का अवैध उत्खनन लगातार जारी है। सैकड़ों पत्थर क्रशर नियमों के विरुद्ध संचालित हो रहे हैं। कई पत्थर क्रशर स्कूल और हाईवे के नजदीक या ग्रामीण बसावट के बीच संचालित हो रहे हैं। इस पूरे अवैध नेटवर्क को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार ने कोर्ट में कहा कि खनन माफिया को सरकार का संरक्षण प्राप्त है, इसलिए सरकार इस पर चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती। इसकी जांच सीबीआई और ईडी से कराई जानी चाहिए। झारखंड के साहिबगंज में ईडी ने सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से अवैध खनन की जांच की है और पलामू प्रमंडल में भी इसी पैटर्न पर जांच जरूरी है।
कोर्ट ने इस मांग को मंजूर करते हुए ईडी और सीबीआई को नोटिस जारी किया है।
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Source : IANS