केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की शक्तियों का दायरा बढ़ा दिया है। इसे लेकर सियासत तेज हो चली है।
केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का ऐलान जल्द होने वाला है। ऐसे में अब एलजी की शक्तियों में इजाफा किया गया है। मुख्यमंत्री एक रबर स्टांप तरह काम करेगा। जनता की ओर से चुनी हुई सरकार के पास कोई शक्ति नहीं होगी और वो किसी अधिकारी के खिलाफ एक्शन नहीं ले पाएंगे।
उन्होंने कहा कि नौकरशाही के तबादले का अधिकार एलजी के पास होगा। मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के पास कोई शक्ति नहीं होगी, लेकिन चुनी हुई सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होगी। उपराज्यपाल की शक्तियों का दायरा बढ़ाकर केंद्र सरकार ने संविधान और जनता के साथ मजाक किया है। यह किस तरह का लोकतंत्र है, भाजपा को बताना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रपति शासन का दूसरा रूप है। अब असली शासक उपराज्यपाल को बनाकर संविधान के साथ भद्दा मजाक किया गया है। संविधान की दुहाई देने वाले लोगों को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। हम इस कदम का विरोध करते हैं।
गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन किया है। इसमें राज्य के उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ दी गई हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत इन बदलावों को मंजूरी दे दी है। इसमें उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने वाली नई धाराएं शामिल हैं। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है।
अखिल भारतीय सेवाओं, सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, वित्त विभाग मामलों में एलजी को अधिक अधिकार दिया गया है। महाधिवक्ता और अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्तियों को भी मुख्य सचिव द्वारा एलजी के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाना होगा। इस तरह, जम्मू-कश्मीर के एलजी के पास अब और अधिक अधिकार होंगे।
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Source : IANS