जम्मू कश्मीर में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग समेत कई अधिकार उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास होंगे। केंद्र सरकार ने शनिवार को इससे संबंधित अधिसूचना जारी की। सरकार के इस फैसले को लेकर अब विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए गए हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता शेख बशीर ने केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही एक प्रयोगशाला रहा है। सबसे बड़ा अनुभव 5 अगस्त 2019 को देखने को मिला, जब जम्मू-कश्मीर राज्य को दो टुकड़ों में बांट दिया गया और लद्दाख व जम्मू-कश्मीर जैसे दो नए केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आए। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने कभी केंद्र शासित प्रदेश का अनुभव नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग नहीं जानते थे कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और चीफ सेक्रेटरी के पास कितनी शक्तियां हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल को नई शक्तियां देकर जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ खिलवाड़ किया है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को उम्मीद है कि यहां चुनाव होने हो और चुने गए प्रतिनिधि ही कोई भी फैसला लें, ताकि उन्हें ब्यूरोक्रेसी से आजादी मिल पाए। यह जो बदलाव किया गया है। उससे बीजेपी की नीयत साफ दिखाई देती है।
शेख बशीर ने कहा कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर के लोगों को किसी भी तरह का अधिकार नहीं देना चाहती है। ये फैसला एक भद्दा मजाक है, इसलिए हमारी पार्टी केंद्र सरकार के इस निर्णय को जनता पर छोड़ती है। जनता ही उनका फैसला करेगी। जम्मू-कश्मीर में एक बार और लोकतंत्र की हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस की मांग है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने चाहिए, ताकि यहां की जनता फैसला कर सके।
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में आईपीएस व आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को दे दिया है। ऐसे ही अधिकार केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में उपराज्यपाल के पास हैं।
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Source : IANS