राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों - लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए दावा किया कि भारत की महान परंपरा की प्रतिष्ठा पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही है और भारत के लोगों को भी यह विश्वास है कि उनकी आकांक्षा उनकी सरकार (मोदी सरकार) ही पूरा कर सकती है।
संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सभी सांसदों (सत्ता पक्ष और विपक्ष) को मिलकर देश हित में काम करने की नसीहत भी दी।
विपक्षी दलों की टोकाटाकी और नारेबाजी के बीच मोदी सरकार की उपलब्धियों को सामने रखते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार उन आधुनिक मानदंडों पर काम कर रही है, जिससे भारत विकसित देशों के सामने बराबरी से खड़ा हो सके। विकसित भारत का निर्माण तभी संभव है जब देश के गरीब, युवा, नारी शक्ति और किसान सशक्त होंगे।इसलिए सरकार की योजनाओं में सर्वोच्च प्राथमिकता इन्हीं चार स्तंभों को दी जा रही है।
राष्ट्रपति ने भारत में तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार बनने की बात कहते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव की चर्चा आज पूरी दुनिया में है। दुनिया देख रही है कि भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई है। छ: दशक बाद ऐसा हुआ है। ऐसे समय में जब भारत के लोगों की आकांक्षाएं सर्वोच्च स्तर पर हैं, लोगों ने उनकी सरकार पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताया है। 2024 का ये चुनाव नीति, नीयत, निष्ठा और निर्णयों पर विश्वास का चुनाव रहा है।
राष्ट्रपति के ऐसा बोलते ही विपक्षी दलों की तरफ से सदन में नारेबाजी और टोकाटाकी शुरू हो गई। राष्ट्रपति मुर्मू ने जब देश के युवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार का ये निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले। सरकारी भर्ती हो या फिर परीक्षाएं, किसी भी कारण से इनमें रुकावट आए, ये उचित नहीं है। इनमें शुचिता और पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है। उसी समय विपक्षी दलों की तरफ से नीट को लेकर नारेबाजी शुरू हो गई। जिस पर राष्ट्रपति ने उन्हें सुनने की नसीहत देते हुए आगे कहा कि हाल ही में कुछ परीक्षाओं में हुई पेपर लीक की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इससे पहले भी हमने देखा है कि कई राज्यों में पेपर-लीक की घटनाएं होती रही हैं। इस पर दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी ठोस उपाय करने की ज़रूरत है।
संसद ने भी परीक्षा में होने वाली गड़बड़ियों के विरुद्ध एक सख्त कानून बनाया है। सरकार परीक्षाओं से जुड़ी संस्थाओं, उनके कामकाज के तरीके, परीक्षा प्रक्रिया, सभी में बड़े सुधार करने की दिशा में काम कर रही है। राष्ट्रपति ने जब 1975 में लगाए गए आपातकाल का जिक्र किया तो कांग्रेस सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी। राष्ट्रपति एक-एक करके केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाती रही और विपक्ष बीच-बीच में कई मुद्दों पर टोकाटाकी और कई बार हल्की नारेबाजी करते हुए भी सदन में दिखाई दिया।
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Source : IANS