झारखंड हाईकोर्ट ने एक युवक को थाने में दो दिन तक अमानवीय तरीके से टॉर्चर करने के मामले में पांच लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को दिए आदेश में कहा है कि पीड़ित युवक को दी जाने वाली यह राशि दोषी पुलिस अफसर से वसूली जाए।
इसके पूर्व कोर्ट ने इस मामले में राज्य के डीजीपी को शपथ पत्र दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने उनसे पूछा था कि मामले में दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
यह फैसला कोर्ट ने पीड़ित लातेहार जिले के छिपादोहर थाना क्षेत्र निवासी अनिल कुमार सिंह की ओर से दायर क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई के बाद मंगलवार को सुनाया।
याचिका के अनुसार, 22 फरवरी 2022 को गारू थाना पुलिस ने नक्सली होने के संदेह में युवक को उसके घर से उठाया था। गारू थाना प्रभारी रंजीत कुमार यादव ने उसे दो दिनों तक थाने में रखा और उसे अमानवीय यातनाएं दी।
अदालत में सुनवाई के दौरान उसके अधिवक्ता ने कहा कि अनिल कुमार सिंह को बुरी तरह पीटा गया और उसके प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डाल दिया गया। बाद में पुलिस ने माना था कि उससे गलती हुई है। पुलिस किसी और को गिरफ्तार करने गई थी, लेकिन पहचानने में भूल की वजह से अनिल कुमार सिंह को थाना लाया गया था।
अनिल कुमार के अनुसार, उसने अमानवीय टॉर्चर की घटना पर थाना प्रभारी के खिलाफ एफआईआर के लिए थाने में आवेदन दिया, लेकिन इस पर महीनों तक कार्रवाई नहीं हुई। सात माह बाद रंजीत कुमार यादव के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की गई, लेकिन आरोपी थाना प्रभारी पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन ने इस घटना पर संज्ञान लिया था और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इस पर भी कुछ नहीं हुआ।
पीड़ित ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि चूंकि उसकी शिकायत पर जिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है, आरोपी अफसर रंजीत कुमार यादव उसी थाने के इंचार्ज हैं, ऐसे में निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। उसने कोर्ट से इसकी जांच सीआईडी या किसी स्वतंत्र एजेंसी को देने की गुहार लगाई थी।
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Source : IANS