केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को दुमका लोकसभा सीट के अंतर्गत जामताड़ा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राज्य की झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की सरकार पर करारा प्रहार किया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए झारखंड भ्रष्टाचार का एटीएम बन गया है। कांग्रेस सांसद के घर से 350 करोड़ और उसके मंत्री आलमगीर आलम के यहां से 35 करोड़ रुपए मिले। इस तरह लूट मचाने वालों के लिए जेल एकमात्र सही जगह है।
अमित शाह ने दुमका की भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन को विजयी बनाने की अपील करते हुए कहा कि वह झारखंड आंदोलन के सेनानी दुर्गा सोरेन की विरासत लेकर चल रही हैं, लेकिन हेमंत सोरेन ने उनके साथ न्याय नहीं किया। भारतीय जनता पार्टी ने सीता सोरेन को न्याय और सम्मान दिलाने के लिए इस सीट पर प्रत्याशी बनाया है।
उन्होंने कहा कि खुद को झारखंड का हितैषी बताने वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा उसी कांग्रेस पार्टी की गोद में जाकर बैठ गया है, जिसने अलग झारखंड के मुद्दे को वर्षों तक लटकाए रखा। यह अटल बिहारी वाजपेयी थे, जिन्होंने अलग झारखंड राज्य के स्वप्न को साकार किया। भारतीय जनता पार्टी बिरसा मुंडा के सपनों का भारत बनाने में जुटी है। 2025 को बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के वर्ष को पीएम मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है।
झारखंड के संथाल परगना इलाके से जुड़े मुद्दों की चर्चा करते हुए शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जगह दी। अब, मोदी सरकार सभी रेलवे स्टेशनों पर संथाली भाषा में सार्वजनिक घोषणाओं को अनिवार्य बनाने जा रही है। केंद्र में पहली बार आदिवासी कल्याण मंत्रालय भी भाजपा की सरकार ने बनाया और आदिवासी कल्याण का बजट 25,000 करोड़ से बढ़ाकर 1 लाख 25 हजार करोड़ कर दिया।
उन्होंने कहा कि मोदी जी की सरकार ने झारखंड को नक्सलवाद की समस्या से मुक्त कराया है। आज बूढ़ा पहाड़, ट्राई जंक्शन और गिरिडीह के इलाके नक्सलवाद से मुक्त हो चुके हैं। झारखंड में गौ तस्करी की समस्या का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि भाजपा की सरकार बनते ही हम असम की तरह यहां गौ तस्करी को जीरो कर देंगे।
गृह मंत्री ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा भी कांग्रेस-जेएमएम जैसी पार्टियों ने अटका-लटकाकर रखा था। हमारी सरकार बनने पर हमने पांच साल में केस जीता, भूमि पूजन किया और मंदिर भी बनाया। मंदिर के लिए कांग्रेस नेताओं को निमंत्रण दिया, तो वह नहीं आए। इसका कारण यह है कि वह उस वोट बैंक के लोगों से डरते हैं, जो आदिवासियों की जमीन लूटते हैं।
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Source : IANS