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गर्मी से जानवरों को बचाने के लिए लखनऊ चिड़ियाघर में स्प्रिंकलर और कूलर

गर्मी से जानवरों को बचाने के लिए लखनऊ चिड़ियाघर में स्प्रिंकलर और कूलर

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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देश भर में बढ़ती गर्मी से हर कोई बेहाल नजर आ रहा है। तेजी से बढ़ रहे टेंपरेचर से बचने के लिए लोग अपने घरों के अंदर एसी, कूलर का सहारा ले रहे हैं। दोपहर के वक्त गर्म हवा के चलते लोग बाहर निकलने से बचते हुए नजर आ रहे हैं।

गर्मी से बचने के लिए लोग अपने लिए हर संभव इंतजाम कर रहे हैं। इस समय जानवर भी छांव वाली जगह देखकर आराम फरमाता हुआ नजर आता है। लेकिन चिड़ियाघर में रहने वाले जानवरों को गर्मी से बचाने के लिए क्या व्यवस्था की गई है। इस संबंध में आईएएनएस ने लखनऊ चिड़ियाघर के निदेशक अदिति शर्मा से बात की है।

अदिति शर्मा बताती हैं कि गर्मी के मौसम में चिड़ियाघर में रह रहे जानवरों के लिए खास व्यवस्था करना जरूरी हो जाता है। जानवरों के लिए टेंपरेचर को कंट्रोल करने के लिए हमने स्प्रिंकलर लगाई है, कूलर की व्यवस्था की गई है। 25 से 30 कूलर बाड़ों के अंदर लगाए गए हैं ताकि उनको ज्यादा गर्मी ना लगे। इसके अलावा बाड़ों के बाहर स्प्रिंकलर लगाए गए हैं।

दरअसल, स्प्रिंकलर लगाने के पीछे की एक और वजह यह है कि गर्मी में धूल मिट्टी उड़ती है और काफी सूखापन हो जाता है। ड्राइनेस होने की वजह से जानवरों में आपसी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए इन चीजों से निपटने के लिए हमने स्प्रिंकलर लगाए हैं। इसके अलावा खस और बांस की चटाइयां भी लगाई गई हैं ताकि सूर्य की किरण डायरेक्ट बाड़ों पर ना पड़े, उसका टेम्प्रेचर बहुत ज्यादा न बढ़ जाए।

उन्होंने कहा कि जानवरों के खानपान में भी थोड़े बदलाव किया गया है। शाकाहारी जानवरों को हम जूसी फ्रूट्स और वेजिटेबल्स दे रहे हैं। इसके अलावा मांसाहारी जानवरों के डाइट में मिलने वाली मीट में थोड़ी बहुत कमी की गई है इस समय हम भी देखते हैं कि इंसान को भी खाना खाने का कम मन करता है, पानी की क्वांटिटी हम बढ़ा देते हैं, तो यही व्यवस्था जानवरों के लिए की जाती है।

उन्होंने बताया कि जंगल में जानवर रहते हैं तो वह अपने आप को धीरे धीरे एडजस्ट कर लेते हैं। गर्मी से राहत पाने के लिए तालाब में बैठ जाते हैं, लेकिन कैप्टिव एनिमल्स के लिए आपको विभिन्न व्यवस्था करनी पड़ती हैं।

उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में इंसानों की तरह जानवरों में कई बीमारियों की शिकायत भी आती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हम बोल देते हैं। जानवर बोल नहीं पाता। लेकिन, हमारे जो कीपर्स हैं और डॉक्टर हैं, उनके लगातार ऑब्जर्वेशन में ये जानवर रहते हैं। अगर हमें जानवरों के व्यवहार में जरा भी अंतर दिखता है तो हमारे कीपर डॉक्टर को बताते हैं और फिर डॉक्टर की सलाह पर उन्हें दवाइयां दी जाती हैं।

गर्मी के मौसम में चिड़ियाघर आने वाले लोगों की भीड़ को लेकर उन्होंने कहा कि भीड़ में गर्मियों के कारण कमी हुई है। हालांकि, इसके बाद भी लोगों में उत्साह बना हुआ है। लखनऊ चिड़ियाघर बहुत पुराना है। इसके अलावा बाहर के मुकाबले यहां का तापमान भी कम होता है। रविवार को करीब तीन हजार विजिटर रजिस्टर किए गए थे। उन्होंने बताया कि गर्मी को देखते हुए विजिटर्स के लिए भी कूलर की व्यवस्था की है। इसके अलावा ठंडा पानी और बैठने के लिए शेड की भी व्यवस्था की गई है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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