झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन ने कहा है कि लोकतंत्र और संविधान को बदलने की सोच रखने वाली तानाशाही ताकतों के खिलाफ इस बार जनता चुनाव लड़ रही है। जनता इन्हें सबक सिखाने के लिए इस बार कमर की पेटी बांधकर तैयार है।
कल्पना सोरेन मंगलवार को कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के तीसरी में इंडिया गठबंधन के तहत सीपीआई (एमएल) के प्रत्याशी विनोद सिंह के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने लोगों से संसद में झारखंड की आवाज मजबूती से रखने वाले प्रतिनिधि भेजने की अपील की। उन्होंने कहा कि दिल्ली जाकर झारखंड के मुद्दों को भूल जाने वाले और मौन धारण करने वालों को सबक सिखाने की जरूरत है। 13 मई को झारखंड की चार सीटों के चुनाव में जनता ने तानाशाही ताकतों को वोट की चोट देकर अपना आक्रोश दिखाया है।
केंद्र की सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड के संसाधनों पर उनकी गिद्ध दृष्टि है। कोयला-लोहा से लेकर दामोदर-बराकर तक का पानी का लाभ दूसरों को दिया जा रहा है। कोडरमा में अभ्रक उद्योग की बदहाली की चर्चा करते हुए उन्होंने इसके लिए स्थानीय सांसद और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि इलाके में एक बड़ी आबादी अभ्रक खनन से जीवन-यापन करती है। लेकिन, कोई वैध खदान नहीं होने के कारण लोगों को बिचौलिए का सहारा लेकर काम करना पड़ता है। खदान धंसने जैसी भी खबर हमारे सामने आती रहती है। लोगों ने कोडरमा से जिन जनप्रतिनिधियों को जिताया था, उन्होंने यहां के मुद्दों पर कभी काम नहीं किया। हेमंत सोरेन की सरकार ने इस समस्या को सुलझाने का प्रयास किया था। सही तरीके से अभ्रक खनन प्रारंभ करवाने के लिए फेडरेशन बनाया था।
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Source : IANS